अर्जेंटीना में 30 फुट लंबे पंखों वाले विशालकाय जानवर का पता चला, वैज्ञानिकों ने दिया ऐसा नाम

Update: 2022-05-25 15:55 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अर्जेंटीना (Argentina) के शोधकर्ताओं को दक्षिण अमेरिका में पाई जाने वाली अब तक की सबसे बड़ी टेरोसॉर (Pterosaur) प्रजाति का पता लगा है. वैज्ञानिकों ने इसे 'मौत का ड्रैगन' या 'Dragon of Death' नाम दिया है. मेंडोज़ा (Mendoza) प्रांत में स्थित एक आउटक्रॉप प्लॉटियर फॉर्मेशन (Plottier Formation) से दो विशालकाय उड़ने वाले सरीसृपों (Reptiles) की खोज की गई है.

इन दोनों नमूनों के पंख करीब 23 फीट और 30 फीट चौड़े हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि ये टेरोसॉर, फैमली एज़र्डार्चिड (Azhdarchids) से हैं, जो क्रेटेशियस काल (करीब 6.6 से 14.6 करोड़ साल पहले) के अंत में रहते थे.
मेंडोज़ा की राजधानी से 800 किलोमीटर दूर मिले जीवाश्म
शोध के मुख्य लेखक लियोनार्डो डी. ऑर्टिज़ डेविड (Leonardo D. Ortiz David) का कहना है कि Azhdarchids अपनी बेहद विशाल खोपड़ी, जो कभी-कभी उनके शरीर से भी बड़ी होती थी और जरूरत से ज्यादा लंबी गर्दन और छोटे मजबूत शरीर के लिए जाने जाते थे.
वैज्ञानिकों का मानना है कि ये दोनों टेरोसॉर थानाटोस्ड्राकोन अमारू (Thanatosdrakon amaru) प्रजाति से हैं. यह इस जीनस की एकमात्र प्रजाति है, जिसका ग्रीक में मतलब है- 'मौत का ड्रैगन'. शोध के लेखकों ने बताया कि अमारू का मतलब है 'उड़ने वाले सांप' जो दो सिर वाले इंकान देवता अमारू से जुड़ा है.
डायनासोर के संग्रहालय में रखे गए हैं जीवाश्म
शोधकर्ताओं का कहना है कि दोनों टेरोसॉर की मौत एक ही समय पर हुई थी. एक टेरोसॉर तब तक पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ था. लेकिन वैज्ञानिक यह साफ तौर पर नहीं कह सकते कि ये दो जानवर एक ही परिवार से थे. इनकी मौत 8.6 करोड़ साल पहले हो गई थी.
मेंडोज़ा की राजधानी से 800 किलोमीटर दूर एक कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट की खुदाई के दौरान ये जीवाश्म पाए गए थे. मेंडोज़ा में अमेरिका का सबसे ऊंचा पहाड़ एकॉनकागुआ (Aconcagua) भी है, जो डायनासोर की अहम खोजों के लिए जीवाश्म विज्ञानियों के बीच बहुत प्रसिद्ध है. यहां 2016 में, दुनिया के सबसे बड़े डायनासोरों में से एक, विशाल सॉरोपॉड नोटोकोलोसस (Notocolossus) भी शामिल है.
ये जीवाश्म फिलहाल मेंडोज़ा में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ क्यूयो (National University of Cuyo) की लैब और डायनासोर के संग्रहालय में रखे गए हैं. इस शोध के नतीजों के क्रेटेशियस रिसर्च (Cretaceous Research) जर्नल में सितंबर 2022 के अंक में प्रकाशित किया जाएगा.


Tags:    

Similar News