डॉक्टरों की लोगों को सलाह! कोरोना संक्रमण के दौरान बिना सोचे समझे दवाओं का सेवन बढ़ा सकता है ब्लैक फंगस का खतरा

कोरोना की दूसरी लहर के बाद ब्लैक फंगस या म्यूकरमायकोसिस का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है

Update: 2021-05-25 02:56 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कोरोना की दूसरी लहर के बाद ब्लैक फंगस या म्यूकरमायकोसिस का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। ब्लैक फंगस के लिए जिम्मेदार कारणों में से प्रमुख वजह कोरोना से बचाव के लिए दी जा रही दवाओं आइवरमेक्टिन, एजिथ्रोमॉयसिन और डॉक्सीसॉयक्लिन का बगैर सोचे-समझे सेवन भी माना जा रहा है।

कोरोना के इलाज के लिए निर्धारित दवाओं में जिंक की मात्रा अधिक होने के चलते भी ब्लैक फंगस के मामले बढ़ने से डॉक्टर इनकार नहीं करते। कई अध्ययन में पता चला है कि जिंक फंगस के लिए पोषक आहार है। फंगस की रोकथाम के लिए जिंक को नियंत्रित करने की दवाएं दी जाती है।
प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ाने के नाम पर जिंक का अत्यधिक उपयोग कहीं न कहीं नुकसानदेह साबित हो रहा है। कोरोना की दवाओं के अंधाधुंध सेवन करने से मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हुई। यही कारण है कि संक्रमण से मुक्त होने के बाद लोग ब्लैक फंगस की चपेट में आ गए।
भारत में यह खतरा अधिक तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि यहां लोग बिना डॉक्टर से पूछे खुद इलाज शुरू कर देते हैं। कुछ दिन पहले तक हर व्हाट्सएप ग्रुप पर कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली किट वायरल हो रही थी। जिन लोगों को सामान्य खांसी-जुकाम हुआ वो भी कोरोना की दवा लेने लगे।
तमाम स्वयंसेवी संस्थाएं घर-घर जाकर मेडिकल किट नि:शुल्क बांट रही है, लेकिन स्वयं दवा लेने और किट बांटने वालों को शायद इस बात का अंदाजा नहीं है कि इसका साइड इफेक्ट क्या हो सकता है। डॉक्टरों की सलाह है कि कोरोना जैसे संक्रमण की दवा का सेवन बिना उचित सलाह के शुरू न करें।


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