रीप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी इन 4 समस्याओं को भूलकर भी न करें नजरअंदाज, हो सकती हैं गंभीर बीमारियां

महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ उनका रीप्रोडक्टिव (प्रजनन) स्वास्थ्य भी बहुत महत्वपूर्ण होता है

Update: 2022-02-28 18:36 GMT

महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ उनका रीप्रोडक्टिव (प्रजनन) स्वास्थ्य भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। आज अधिकतर महिलाएं इससे संबंधित किसी न किसी परेशानी से जूझ रही हैं। इसका कारण जीवनशैली में परिवर्तन और रीप्रोडक्टिव स्वास्थ्य के विषय पर जागरूकता की कमी होना है। लेकिन, यदि इससे जुड़ी समस्याओं को समय पर पहचान लिया जाए, तो भविष्य में बहुत सी गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।

रीप्रोडक्टिव और हॉर्मोनल स्वास्थ्य से जुड़ी इन कॉमन परेशानियों को जरूर जान लें..
1. पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS)
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम या PCOS एक ऐसी बीमारी होती है जिसमें महिलाओं को अनियमित पीरियड, सामान्य से कम ब्लीडिंग, मुंहासे, ओबेसिटी और शरीर पर ज्यादा बालों के उगने का अनुभव होता है। PCOS में महिलाओं के शरीर में सामान्य की तुलना में बहुत अधिक हार्मोन्स बनते हैं।
आज PCOS की बीमारी एक महामारी का रूप लेती जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर 5 में से 1 महिला इस बीमारी से पीड़ित है। PCOS होने का कारण फास्ट फूड और एक्सर्साइज न करना है।
2. यौन संचारित संक्रमण (STI)
स्वस्थ महिलाएं STI की चपेट में जल्दी आती हैं। इस प्रकार की बीमारियां सबसे ज्यादा उन्हें होती हैं, जो सेक्स के वक्त गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल नहीं करते। साथ ही मल्टीपल सेक्स पार्टनर और प्री-मेरिटल सेक्स भी इनके सबसे बड़े कारण होते हैं। इसलिए सेक्स एजुकेशन होना बहुत जरूरी है।
3. अनियोजित और एक्टोपिक प्रेग्नेंसी
सामाजिक दबाव होने के कारण हमारे घरों में प्रेग्नेंसी के प्रति जागरूकता का अभाव है। इसके साथ ही, गर्भनिरोधकों की उपलब्धता न होना भी अनियोजित प्रेग्नेंसी का कारण है। इससे युवा महिलाएं असुरक्षित अबॉरशन का सहारा लेती हैं, जिससे भविष्य में उन्हें कई तरह की तकलीफें झेलनी पड़ती हैं। इसके अलावा, ऐसे गलत अनुभव एक महिला के करियर और आगे जाकर मां बनने के अनुभव पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी तब होती है, जब बच्चे का विकास गर्भ में न होकर उसके बाहर होता है। इसमें सबसे कॉमन फलोपियन ट्यूब में बच्चे का विकास होना है। कुछ सालों से ऐसे मामलों में बढ़त हो रही है।
4. बांझपन

बांझपन होने का सबसे आम कारण अच्छे से ओव्यूलेशन न होना है। सरल भाषा में, महिलाएं ऐसी अवस्था में अंडे प्रड्यूस करने में सक्षम नहीं होतीं। इसका एक कारण PCOS भी होता है। यह समस्या 35 साल की उम्र के बाद ज्यादा होती है, क्योंकि तब तक ओवरीज में अंडों की संख्या घट जाती है। इसलिए प्रेग्नेंसी 35 की आयु के पहले प्लैन करना सही होता है।


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