Covid Study: अध्ययन में चला पता! संक्रमितों में इस बीमारी का बढ़ गया है खतरा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश में पिछले एक हफ्ते के दैनिक संक्रमण के आंकड़े काफी चिंता बढ़ाने वाले हैं। फरवरी-मार्च के बाद एक बार फिर से रोजाना के केस 4000 के ऊपर जा रहे हैं। पिछले 24 घंटे के दैनिक डेटा पर नजर डालें तो पिछले दिन के मुकाबले मामलों में थोड़ी कमी जरूर देखी गई है। रविवार को जहां 4518 लोग संक्रमित पाए गए थे वहीं सोमवार को यह आंकड़ा 3714 के करीब रहा। इन सब के बीच एक्टिव केस का दोबार बढ़ना स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती खड़ी कर रहा है। कोरोना के संक्रमण के साथ-साथ इससे होने वाली अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी बड़ी मुसीबतों का कारण बनकर सामने आ रही हैं।
इस बीच कोरोना संक्रमण को लेकर अध्ययन कर रही शोधकर्ताओं की एक टीम ने पाया कि सार्स-सीओवी-2 वायरस से संक्रमण के एक महीने में ही लोगों में मनोरोग विकार की समस्या हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित जटिलताओं को भी बढ़ा देता है। यह एक अन्य उदाहरण है जिससे साबित होता है कि कोविड-19 को श्वसन पथ के संक्रमण तक सीमित करके नहीं देखा जाना चाहिए। आइए आगे इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
मानसिक रोगों का बढ़ता खतरा
कोरोना महामारी ने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष दोनों रूपों से मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को बढ़ा दिया है। इसी से संबंधित अमेरिका स्थित ओरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी (ओएसयू) के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि कोविड-19, संक्रमितों में मनोरोग विकार को बढ़ावा दे रहा है। संक्रमण के एक माह के भीतर ही कुछ लोगों में इससे संबंधित समस्याएं दिखनी शुरू हो सकती हैं। वहीं अगर समय रहते इनपर ध्यान न दिया जाए तो चार महीनों में मानसिक विकार विकसित होने का जोखिम लगभग 25 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
अध्ययन में क्या पता चला?
वर्ल्ड साइकियाट्री जर्नल में प्रकाशित शोध में शोधकर्ताओं ने 46,610 लोगों के डेटा का अध्ययन किया। कोविड-19 के निदान के 21 से 120 दिन और फिर 120 से 365 दिन के बीच रोगियों की स्थिति की जांच की गई। इस आधार पर विशेषज्ञों ने बताया कि कोविड-19 रोगियों में मानसिक विकार विकसित होने की दर 3.8 प्रतिशत थी। अगर समय रहते इसपर ध्यान न दिया जाए तो यह समस्या बढ़ सकती है।
मानसिक रोगों के कारण, कोविड-19 से ठीक होने की दर पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इस आधार पर विशेषज्ञों ने कोविड-19 रोगियों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर विशेष ध्यान रखने की अपील की है। विशेषज्ञों का कहना है कि सभी लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाव के उपाय करते रहने चाहिए।
संक्रमण से बचाव को लेकर विकसित की नई तकनीक
इस बीच भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बैंगलोर के शोधकर्ताओं ने कृत्रिम पेप्टाइड्स या मिनीप्रोटीन का एक नया वर्ग तैयार किया है, दावा किया जा रहा है कि ये सार्स-सीओवी-2 जैसे वायरस को निष्क्रिय कर सकते हैं। नेचर केमिकल बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, मिनीप्रोटीन न केवल हमारी कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश को रोक सकते हैं, बल्कि वायरस के कणों को आपस में जोड़कर उनकी संक्रमण बढ़ाने की क्षमता को भी कम कर सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये तकनीक कोरोना संक्रमण को रोकने में मददगार साबित हो सकती है।
कोरोना के बढ़ते खतरे को लेकर अलर्ट
देश में पिछले कुछ दिनों से संक्रमण के मामलों में देखे जा रहे उछाल को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को सावधानी बरतने की अपील की है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच दिनों में अकेले मुंबई में कोरोना के मामलों में 50 फीसदी की उछाल देखी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से देश के अलग-अलग हिस्सों से एक बार फिर से कोरोना के बढ़ने की खबरें सामने आ रही है, ऐसे में लोगों को बचाव के उपायों को लेकर विशेष सतर्कता और सावधानी बरतनी चाहिए।
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