Cosmic Rays:100 साल पुराना रहस्य वैज्ञानिकों ने सुलझाया, पहली बार खोजा ब्रह्मांडीय किरणों का स्रोत

हमारी पृथ्वी पर कई तरह के विकिरण (Radiations) पहुंचते हैं. इनमें से कई विकिरण हमारे ग्रह की मैग्नेटिक फील्ड के कारण सतह तक नहीं पहुंच पाते हैं

Update: 2021-08-29 09:43 GMT

हमारी पृथ्वी पर कई तरह के विकिरण (Radiations) पहुंचते हैं. इनमें से कई विकिरण हमारे ग्रह की मैग्नेटिक फील्ड के कारण सतह तक नहीं पहुंच पाते हैं, लेकिन कई विकिरणों के संकेत हमारे वैज्ञानिकों को वायुमंडल में दिखते रहे हैं. करीब सौ साल पहले वैज्ञानिकों यह पता चलने लगा था कि कुछ कॉस्मिक विकिरण (Cosmic Radiations) ऐसे हैं जिनका स्रोत स्थानीय नहीं हैं. अब हाल ही में हुए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस तरह के एक कॉस्मिक विकरणों के स्रोत के साथ उस विकिरण की मात्रा पता लगाने की सफलता हासिल की है जो हमारी गैलेक्सी मिल्की वे (Milky Way) ही आया है.

कई रहस्य जुड़े हैं इन विकिरणों से
बाहरी स्रोत से आने वाले विकिरणों में कॉस्मिक किरणों के साथ उच्च ऊर्जा प्रोटोन और ऐसे परमाणु केंद्रक, जिनके इलेक्ट्रॉन निकल गए हैं और जिनकी गति प्रकाश की गति के आसपास तक पहुंच जाती है, शामिल हैं लेकिन इस परिघटना से कई रहस्य भी जुड़े हुए थे जिसमें इनका उद्गम स्रोत क्या है, उनके प्रमुख कण इतनी अधिक वेग कैसे हासिल कर लेते हैं आदि.
नए शोध में पहली बार ऐसा हुआ
जापान की नागोया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की अगुआई में वैज्ञानिकों ने पहली बार एक सुपरनोवा अवशेषों से निकली कॉस्मिक किरणों की मात्रा सुनिश्चित करने में सफलता पाई है. इस शोध ने 100 साल पुराने एक रहस्य को सुलझाने में मदद की है और इसे कॉस्मिक किरणों के स्रोत की सटीक स्थिति पता करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है.
कई स्रोत हो सकते हैं कॉस्मिक किरणों के
वैज्ञानिकों ने अब तक कॉस्मिक किरणों के कई स्रोत माने थे जिनमें हमारा सूर्य, सुपरनोवा, गामा किरण प्रस्फोट, क्वाजेर, आदि शामिल है, लेकिन उनकी पहली बार खोज (1912) के बाद से कभी सटीक उद्गम की स्थिति का पता नहीं चल सका. इस तरह यह भी सिद्धांत दिया गया कि सुपरनोवा के विस्फोट के बाद बचे अवशेष ही इन कणों को प्रकाश की गति के आसपास तक त्वरण करने के लिए जिम्मेदार हैं. ये अवशेष जब हमारी गैलेक्सी से होकर गुजरते हैं तो कॉस्मिक किरणें अंतरतारकीय माध्यम (ISM) में रासायनिक बदलाव करती हैं. इस तरह इनके उद्गम के जानकारी हमारी गैलेक्सी के विकास की जानकारी दे सकती हैं.
सुपरनोवा अवशेषों से विकिरण
हाल ही में बेहतर अवलोकनों के जरिए कई वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि सुपरनोवा अवशेषों से कॉस्मिक विकिरण निकलते हैं. क्योंकि जिन प्रोटोन का वे त्वरण करते हैं अंतरतारकीय माध्यम में स्थित प्रोटोन से अंतरक्रिया करते हैं जिससे अति उच्च ऊर्जा (VHE) वाली गामा किरणें पैदा होती हैं. लेकिन गामा किरणें आईएसएम के फोटोन से अंतरक्रिया करने वाला इलेक्ट्रॉन से भी निकल सकती हैं इसलिए गामा विकिरणओं के बड़े स्रोत का पता लगाना बहु जरूरी था.
विकिरण की मात्रा सुनिश्चित करना
इसी अध्ययन के लिए नागोया यूनिवर्सिटी के साथ नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल ऑबजर्टरी ऑफ जापान और ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने J1713.7?3946 (RX J1713) सुपरनोवा के अवशेषों का अवलोकन किया. इसके लिए शोधकर्ताओं ने नया तरीका विकसित किया जिससे अंतरतारकीय अंतरिक्ष में गामा विकिरण स्रोत की मात्रा निश्चित हो सके.
अंतरतारकीय गैस और विशेष एक्स किरणें
पिछले अवलोकन बताते हैं कि विभिन्न प्रोटोन के आपस में टकराकर पैदा होने वाली अति उच्च ऊर्जा वाली गामा किरणों की तीव्रता, अंतरतारकीय गैस के घनत्व की समानुपातिक है. इसे रेडियो लाइन इमेजिंग के जरिए अलग से देखा जा सकता है. वहीं इलेक्ट्ऱॉन और प्रोटोन की अंतरक्रिया से निकलने वाली गामा किरणें भी इलेक्ट्रॉन से निकलने वाली नॉन थर्मल एक्स किरणों की तीव्रता के समानुपातिक होनी चाहिए.
विभिन्न आंकड़ों का उपयोग
शोधकर्ताओं ने हाई एनर्जी स्टीरियोस्कोपिक सिस्टम (HSS) और नामीबिया स्थित VHE गामा विकिरण वेधशाला के आंकडों का साथ यूरोपीय स्पेस एजेंसी के एस्क रे मल्टीमिरर मिशन (XMM- Newton) के एक्स रे आंकड़े और अंतरतारकीय माध्यम में गैस कि वितरण के आंकड़ों को मिलाकर अध्ययन किया और कॉस्मिक किरणों में प्रोटोन और इलेक्ट्रॉन के योगदान की मात्रा का पता लगा लिया.
इस पड़ताल पहले पहली बार कॉस्मिक विकिरणों के स्रोत की मापन हो सका और यह भी पहली बार पुष्टि हो सकी कि सुपरनोवा के अवशेष ही इस कॉस्मिक किरणों के स्रोत थे. इससे यह भी पता चलाकि प्रोटोन से आने वाली गामा किरणें गैस समृद्ध आंतरतारकीय क्षेत्रों से आती हैं, जबकि इलेक्ट्रॉन से निकली किरणें कम गैस वाले इलाकों से आती हैं.


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