प्राकृतिक रूप से नहीं बन सकता कोरोना वायरस, Scientists ने दिए सुबूत

Scientists ने दिए सुबूत

Update: 2021-05-31 12:03 GMT

कोविड-19 संक्रमण का स्रोत पता करने के लिए दुनिया भर में तेज हो रही मांग के बीच वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब में बनाया गया। यह प्राकृतिक नहीं, इसका पूर्वज भी नहीं।

ब्रिटेन-नॉर्वे में हुए अध्ययन की रिपोर्ट, कोविड-19 का कोई पूर्वज नहीं, चीनी वैज्ञानिकों ने ही बनाया
ब्रिटेन और नार्वे के वैज्ञानिकों के मुताबिक, इतना ही नहीं, वायरस की कृत्रिम उत्पत्ति छिपाने के लिए चीनी वैज्ञानिकों ने इसमें कई बदलाव भी किए। ब्रिटेन के प्रोफेसर एंगस डलग्लीश और नॉर्वे के वैज्ञानिक और उद्यमी डॉक्टर बर्जर सोरेन्सन ने अध्ययन के बाद दावा किया कि वुहान लैब के वायरस विशेषज्ञों ने इसे बनाने के लिए बाद अपनी करतूत के सुबूत मिटाने के लिए रिवर्स इंजीनियरिंग से इसका नया स्वरूप पैदा किया, ताकि यह प्राकृतिक रूप से चमगादड़ से बना लगे।
एक ब्रिटिश दैनिक में प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी वैज्ञानिकों ने अपने देश की गुफा में मिलने वाली चमगादड़ से मिले प्राकृतिक वायरस में स्पाइक जोड़े। जिससे यह बेहद घातक और तेजी से फैलने वाले नए कोरोना वायरस में बदल गया वैज्ञानिकों ने अमेरिका में चलाए गए गेन ऑफ फंक्शन नामक प्रोजेक्ट का हवाला दिया।
जिसमें प्राकृतिक रूप से मिलने वाले वायरस को ज्यादा संक्रामक बनाने का काम शामिल था। इस प्रोजेक्ट को 2014 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने गैरकानूनी घोषित कर दिया था।
अमेरिका के साथ भी काम करते रहे ये चीनी विज्ञानी
डलग्लीशऔर सोरेन्सन ने बताया उनके पास करीब एक वर्ष से चीन में वायरस बनाने बनाए जाने के साक्ष्य हैं, लेकिन अधिकतर वैज्ञानिक और विज्ञान पत्रिकाएं उनकी रिपोर्ट को अनदेखा करती आई हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, 22 पन्नों की रिपोर्ट से अंतरराष्ट्रीय तनाव भी बढ़ सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, चीन के कई वैज्ञानिक इस कोरोना वायरस पर काम कर रहे थे। इनमें से कई तो अमेरिका के विश्वविद्यालय के साथ भी काम कर रहे थे।
स्पाइक में 4 अमीनो एसिड, कुदरती वायरस में यह असंभव
अध्ययनकर्ता सोरेन्सन के मुताबिक, कोरोना वायरस के स्पाइक में 4 अमीनो एसिड हैं, जो पॉजिटिव चार्ज रखते हैं। इससे वायरस के स्पाइक मानव कोशिकाओं के नेगेटिव चार्ज वाली हिस्सों को मजबूती से जकड़कर संक्रमण फैलाते हैं।
प्राकृतिक रूप से तीन अमीनो एसिड एक स्पाइक पर मिलना बहुत दुर्लभ है। मौजूदा वायरस में यह चार हैं, जो कृत्रिम रूप से बनाए जाने पर ही संभव है। सोरेन्सन के अनुसार, यह वायरस मोहन लैब के कम सुरक्षा वाले क्षेत्र से लीक होने की संभावना है। पहले भी इस प्रकार से वायरस लीक हुए हैं।
चीन की वुहान लैब में चल रहा था सैन्य शोध, इसी से वायरस लीक होने का शक
अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने शनिवार को दावा किया कि चीन के वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी में सैन्य शोध से जुड़ी गतिविधियां भी चल रही थी। उन्होंने कहा, कि यह पुख्ता दावा है, पीपल्स लिबरेशन आर्मी से जुड़े काम इसलिए लैब में किए जा रहे हैं।
साथ ही दुनिया को दिखाने के लिए नागरिक शोध भी किए जाते हैं। तत्काल राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में विदेश मंत्री रहते हुए पॉम्पियो ही वुहान लैब से वायरस लीक होने की दिशा में जांच करने के लिए डब्ल्यूएचओ पर दबाव बनाते रहे थे।
पॉम्पियो ने आरोप लगाया कि चीन ने इस प्रयोगशाला में हो रहे सैन्य शोधों पर पर्दा डालने के लिए ही विश्व को पूरी जानकारी देने से इनकार कर दिया। कोरोना महामारी से दुनिया भर में अब तक 36 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। चीन ने डब्ल्यूएचओ की जांच टीम को जांच के दौरान कई अहम डाटा और रिपोर्ट देने से इंकार कर दिया था।
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