पृथ्वी के ध्रुवों को ठंडा कर जमाना होगा कारगर और आसान
पृथ्वी (Earth) के ध्रुव बाकी दुनिया की तुलना में कई गुना ज्यादा तेजी से गर्म हो रहे हैं. इससे इस साल अंटार्कटिक और आर्कटिक दोनों ही में रिकॉर्ड ग्रीष्म लहर देखने को मिली है.
पृथ्वी (Earth) के ध्रुव बाकी दुनिया की तुलना में कई गुना ज्यादा तेजी से गर्म हो रहे हैं. इससे इस साल अंटार्कटिक और आर्कटिक दोनों ही में रिकॉर्ड ग्रीष्म लहर देखने को मिली है. ध्रुवों पर ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्री जलस्तर भी तेजी से बढ़ेगा. लेकिन वैज्ञानिकों ने भविष्य के लिए एक ऐसा कार्यक्रम बनाया है जिससे ध्रुवों को ठंडा (Cooling of Poles) कर फिर से जमाया जा सकता है. इसके लिए वैज्ञानिक जेट विमानों के जरिए 60 डिग्री के ऊपर के उत्तरी और दक्षिण अक्षांश इलाकों के वायुमडंल में सूक्ष्म एरोसॉल कणों का छिड़काव (Spraying of Aerosols) करेंगे.
एनवायर्नमेंटल रिसर्च कम्यूनिकेशन्स में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार यदि 43 हजार फुट की ऊंचाई से यदि इन एरोसॉल्स का छिड़काव (Aerosols Spraying) किया जाए तो वे धीरे धीरे ध्रुवों (Poles)की ओर जाने लगेंगे और अपने नीचे की सतह को छायादार बना देंगे. इस अध्ययन के प्रमुख लेखक वेक स्मिथ ने बताया कि ग्रह को ठंडा (Cooling of Planet) करने के लिए एरोसॉल के छिड़काव को लेकर दुनिया में व्यापक और संवेदनशील घबराहट है, लेकिन जोखिम लाभ के समीकरण में अगर इस पद्धति का कहीं फायदा हो सकता है तो वह केवल ध्रुवों पर ही होगा.
एरोसॉल के कणों को वायुमंडल में इंजेक्ट करने का काम (Aerosols Spraying) मौसम के हिसाब से हो सकता है. दोनों ध्रुवों (Poles) पर स्थानीय रूप से पतझड़ यानि गर्मी की शुरुआत का मौसम होगा तब सबसे बेहतर हो सकता है. इस तरह के मौसम दोनों ध्रुवों पर एक साथ नहीं होते हैं इसलिए विमानों (Aeroplanes) का एक ही बेड़ा दोनों ध्रुवों पर बारी बारी से उपयोग में लाया जा सकता है. KC-135 और A330 MMRT जैसे सेना के पुराने हवा से हवा में ईंधन भरने वाले टैंकरों में इन ऊंचाइयों के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं होगी, लेकिन नई डिजाइन के टैंकर ज्यादा प्रभावी साबित होंगे.
इस तरह के 125 टैंकरों का बेड़ा 60 डिग्री उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों से ध्रुवों (Poles) की ओर हर साल दो डिग्री तापमान कम करने के लिए काफी होंगे. जिससे पूर्व औद्यौगिक काल के औसत तापमान (Preindustrial Average Temperature) के नजदीक पहुंचा जा सकेगा. इस सब पर हर साल 11 अरब का खर्चा होगा जो कि उसी स्तप पर पूरे ग्रह को ठंडा करने की खर्चे का एक तिहाई खर्च होगा और साथ ही नेट जीरो उत्सर्जन (Net Zero Emission) के लक्ष्य तक पहुंचने के खर्चे का बहुत ही कम हिस्सा होगा.
इंजेक्ट (Aerosols Spraying) करना भले ही कितना ही गेम चेंजर जैसा क्यों ना लगे, यह केवल जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के लक्षण का इलाज है उसके पीछे की बीमारी का नहीं. यह एस्प्रिन है पेनिसिलन नहीं है यह विकार्बनीकरण का विकल्प बिलकुल ही नहीं है. ध्रुवों को ठंडा करना ग्रह के केवल कुछ ही हिस्से में सीधी राहत पहुंचाएगा. बावजूद इसके कि मध्य अक्षांश के इलाकों में तापमान कुछ हद तक कम कर सकता है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि चूंकि लक्षित क्षेत्र यानि ध्रुवों पर एक प्रतिशत से भी कम जनसंख्या रहती है. वैश्विक कार्यक्रम की जगह केवल ध्रुवों पर छिड़काव का अधिकांश मानवजाति (Humanity) के लिए सीधा जोखिम बहुत कम रहेगा. फिर भी पूरे विश्व का तापमान कम करना पूरी मानवजाति के ही हित की बात होगी ना कि केवल आर्कटिक और अंटार्कटिक इलाकों के लिए.
यह अध्ययन उच्च अक्षांश में जलवायु दखल के जोखिम, लाभ और लागत को समझने के लिए एक छोटा और शुरुआती कदम है. यह विश्वास करने का एक और कारण देता है कि ऐसे उपकरण ध्रुवों (Poles) के पास क्रायोस्फियर (Cryosphere) को संरक्षित करने में बहुत उपयोगी हो सकते हैं. और इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर समुद्र जल स्तर (Sea level Rise) के इजाफे को धीमा करने में भी काम आ सकते हैं.