नई दिल्ली: चीन की स्पेस एजेंसी CNSA ने पांच अगस्त 2022 को गांसू प्रांत के जियुकुआन स्थित स्पेस स्टेशन से लॉन्ग मार्च 2एफ (Long March-2F) रॉकेट छोड़ा. इस रॉकेट में एक रीयूजेबल स्पेसक्राफ्ट को भी भेजा गया है. यह एक पायलट प्रोजेक्ट है. लेकिन स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में भेजकर चीन ने अमेरिका की नकल कर ली है. अमेरिका जिस स्पेस शटल प्रोग्राम को 2011 में बंद कर चुका है. चीन अब वैसा ही स्पेसक्राफ्ट बनाकर अंतरिक्ष में भेज रहा है.
चीन के इस प्रोजेक्ट से किसी को कोई दिक्कत नहीं है. क्योंकि वह स्पेसक्राफ्ट का दोबारा उपयोग करेगा. वह इस स्पेसक्राफ्ट का उपयोग अपने अंतरिक्ष स्टेशन पर एस्ट्रोनॉट्स को लाने-ले जाने के लिए करेगा. साथ ही कार्गो सप्लाई भी करेगा. लेकिन इससे ज्यादा जरूरी है कि वह अपने रॉकेटों को अनियंत्रित तरीके से धरती पर आने से रोके. फिलहाल जिस स्पेसक्राफ्ट की बात हो रही है, उसे टेस्टिंग के लिए अंतरिक्ष में भेजा गया है.
चीन का दावा है कि फिलहाल ये स्पेसक्राफ्ट धरती से 100 किलोमीटर ऊपर कारमान लाइन के पास चक्कर लगाएगा. उसके बाद यह धरती पर वापस आ जाएगा. हालांकि चीन ने इस स्पेसक्राफ्ट के मार्ग, ऊंचाई आदि की जानकारी शेयर नहीं की है. यह स्पेसक्राफ्ट अमेरिकी एयरफोर्स के X-37B की तरह ही दिखता है. चीन के रॉकेटों के साथ दिक्कत ये है कि लॉन्चिंग तो सही होती, लेकिन ये धरती पर अनियंत्रित तरीके से वापस आते हैं.
करीब 5 दिन पहले चीन का रॉकेट मलेशिया के पास हिंद महासागर में गिरा. उससे पहले उसने आसमान में आतिशबाजी की. जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे. मलेशिया के कुचिंग सिटी से इसकी कई फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर डाले गए हैं. NASA के अंतरिक्ष विज्ञानी जोनाथन मैक्डॉवेल ने गणना करके आशंका जताई है कि चीन ने 24 जुलाई 2022 को जो लॉन्ग मार्च रॉकेट (Long March 5B Rocket) अंतरिक्ष में छोड़ा था, वह इस हफ्ते धरती पर कहीं गिरेगा. इस रॉकेट ने चीन के स्पेस स्टेशन का एक हिस्सा अंतरिक्ष में पहुंचाया था. लेकिन पिछली बार की घटनाओं की तरह इस बार भी चीन का अपने रॉकेट से नियंत्रण हट गया था.
तीन साल में यह तीसरी बार हुआ है जब चीन का रॉकेट अंतरिक्ष में जाता तो नियंत्रित तरीके से है, लेकिन लौटता आउट ऑफ कंट्रोल है. चीन कहता है कि वह उसे नियंत्रित करके पानी में गिराने का प्रयास कर रहा है लेकिन आखिरी समय में उसकी हालत खराब हो जाती है. साल 2021 के मई महीने में भी इसी सीरीज का रॉकेट मालदीव्स के पास समुद्र में गिरा था. उससे पहले 2020 में चीन का रॉकेट पश्चिमी अफ्रीका और अटलांटिक महासागर में गिरा था.
स्पेसएक्स (SpaceX) जैसी कंपनियां दोबारा उपयोग करने वाले रॉकेट का उपयोग कर रही हैं. लेकिन चीन जैसा ताकतवर देश अपने रॉकेटों से हर साल दुनिया के अन्य देशों के लिए खतरा पैदा कर रहा है. लॉन्ग मार्च रॉकेट (Long March 5B Rocket) चीन का मुख्य रॉकेट है. चीन पिछले तीन साल से पूरी दुनिया को डरा रहा है.
पिछले साल मई में चीन के लॉन्ग मार्च 5बी वाई2 (Long March 5B Y2 Rocket) रॉकेट ने धरती में अनियंत्रित एंट्री मारी थी. तब वह धरती के चारों तरफ लो-अर्थ ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है. यानी यह धरती के ऊपर 170 किलोमीटर से 372 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच. उसकी गति 25,490 किलोमीटर प्रति घंटा है यानी 7.20 किलोमीटर प्रति सेकेंड. आशंका है कि इस समय जिस रॉकेट की बात हो रही है, वह भी इसी गति से धरती के अंदर प्रवेश करे.
असल में चीन अपना स्पेस स्टेशन बना रहा है. उसके लिए पिछले कुछ सालों से वह रॉकेट के जरिए स्पेस स्टेशन के हिस्से अंतरिक्ष में पहुंचा रहा है. हिस्सों को अंतरिक्ष में पहुंचाने के बाद रॉकेट को नियंत्रित तरीके से धरती की ओर लौटना चाहिए. लेकिन चीन हर बार अपने लौटने वाले रॉकेटों नियंत्रण खो देता है. जिससे आमजनों को खतरा पैदा हो जाता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बार चीन की इस हरकत का विरोध हुआ है लेकिन चीन लाखों प्रयास के बाद भी लौटने वाले रॉकेट को नियंत्रित कर नहीं पाता.