चीनी वैज्ञानिकों का दावा: Google ने बनाया क्वांटम कंप्यूटर, सुपर कंप्यूटर से है अरब गुना तेज...

चीन के वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने अब तक का सबसे एडवांस्ड क्वांटम कम्प्यूटर प्रोटोटाइप तैयार कर लिया है।

Update: 2020-12-05 10:36 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | चीन के वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने अब तक का सबसे एडवांस्ड क्वांटम कम्प्यूटर प्रोटोटाइप चीन के वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने अब तक का सबसे एडवांस्ड क्वांटम कम्प्यूटर प्रोटोटाइप (Most AAdvanced Quantum Computer Prototype) तैयार कर लिया है।तैयार कर लिया है। चीन के क्वांटम रिसर्च टीम की अगुवाई कर रहे यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ऑफ चाइना के मॉडर्न फिजिक्स डिपार्टमेंट के डॉ. हान-सेन झोंग ने बताया कि उन्होंने कथित तौर पर अगली पीढ़ी की ऐसी सुपर-एडवांस्ड क्वांटम तकनीक विकसित कर ली है जो मिनटों के भीतर बड़े से बड़े डेटा समूह की गणना करने में सक्षम है। जबकि इसी काम को करने में दुनिया के तीसरे सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर को लगभग 2 अरब (2 बिलियन) साल लग सकते हैं।

चीनी वैज्ञानिकों का दावा, गूगल के प्रोटोटाइप से 10 अरब गुना तेज क्वांटम कम्प्यूटर बनाया
फोटॉन आधारित है तकनीक
डॉ. हान-सेन झोंग (Dr. Han-Sen Zhong) के अनुसार चीनी प्रोटोटाइप फोटॉन-आधारित तकनीक पर काम करता है। चीनी शोधकर्ताओं का अनुमान है कि उनका बनाया यह क्वांटम कम्प्यूटर दुनिया के सबसे एडवांस्ड सुपर कम्प्यूटर की तुलना में भी लगभग 100 खरब (100 ट्रिलियन) गुना तेज है। साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में चीन के वैज्ञानिकों ने 2019 में पहली बार सामने आई गूगल की 'क्वांटम सुप्रीमेसी' (Google's quantum prototype) तकनीक को भी चुनौती दी गई है।
चीनी वैज्ञानिकों का दावा, गूगल के प्रोटोटाइप से 10 अरब गुना तेज क्वांटम कम्प्यूटर बनाया
इसलिए 'क्वांटम वर्चस्व' का दावा
दरअसल, क्वांटम सुप्रीमेसी में किसी काम को पूरा करने के लिए क्वांटम मशीन की सुपर-स्पीड की क्षमता द्वारा आंका जाता है। क्योंकि एक सामान्य कम्प्यूटर के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं होता। चीनी वैज्ञानिकों के दावे का आधार उनके बनाए क्वांटम कम्प्यूटर प्रोटोटाइप द्वारा 'गॉसियन बोसोन सैंपलिंग' (Gaussian boson sampling) नाम की एक स्टैंडर्ड सिमुलेशन एल्गोरिद्म (standard simulation algorithm) का उपयोग करके 76 फोटॉन (76 photons) तक का पता लगा सकता है। जबकि गूगल क्वांटम टीम ने पहली बार अपने 'साइकैमोर' क्वांटम कम्प्यूटर का उपयोग कर बीते साल ऐसा करने में सफलता पाई थी। हालांकि, चीन का बनाया प्रोटोटाइप आसानी से अपने फोटॉन-आधारित कम्प्यूटिंग क्षमता के जरिए गूगल के 'साइकैमोर' (Sycamore) को पछाड़ सकता है। चीन के प्रोटोटाइप की कार्य क्षमता को उतने ही समयावधि में कर पाना आज के सुपरकम्प्यूटर्स के भी बस की बात नहीं है। शोध में यह भी कहा गया है कि प्रोटोटाइप के हार्डवेयर या एल्गोरिद्म में अपडेशन या किसी भी तरह की तकनीकी सुधार के बाद भी इस गणना में अंतर आने की संभावना नहीं है।
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चीन भी शामिल हुआ क्वांटम रेस में
इस सफलता के साथ अब चीन भी अमरीका, ब्रिटेन, रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ क्वांटम टेक्नोलॉजी हासिल करने की दौड़ में शामिल हो गया है। गौरतलब है कि आइबीएम, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसी बड़ी दिग्गज आइटी कंपनियां इस तकनीक को विकसित करने के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रही हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कम्प्यूटर प्रोसेसिंग की गति में सुधार के नजरिए से यह तकनीक क्रांति ला सकती है। बड़े सिस्टम के अनुकरण के अलावा, यह रसायन विज्ञान, भौतिकी और अन्य क्षेत्रों में ऐसे बदलाव लाएगी जो भविष्य की तस्वीर बदल कर रख देगा। क्वांटम कम्प्यूटर को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ), स्वास्थ्य और दवाओं, सौर प्रौद्योगिकी और निवेश के क्षेत्र में बदलाव के टूल के रूप में देखा जा रहा है। यह तकनीक दवा कंपनियों, कार निर्माताओं और कृषि कार्यों के लिए भी उपयोगी साबित होगी।
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क्या है क्वांटम कंप्यूटिंग तकनीक
एक साधारण कंप्यूटर चिप बिट्स का उपयोग करता है। ये छोटे स्विच की तरह होते हैं जिन्हें शून्य से दर्शाया जाता है। प्रत्येक ऐप जो हम उपयोग करते हैं, हर वो वेबसाइट जिसे हम खोलते हैं और हर फोटो जो हम कैमरे या मोबाइल से खींचते हैं वे सभी ऐसे ही लाखों-करोड़ों बिट्स और एक व शून्य के संयोजन से बनती है। लेकिन यह तकनीक हमें आज तक यह नहीं बता पाई कि वास्तव में ब्रह्मांड किस तरह काम करता है। यहां तक कि मानव द्वारा बनाए गए सबसे बेहतरीन सुपर कंप्यूटर भी आज तक इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए। पिछली शताब्दी में भौतिकविज्ञानियों ने पता लगाया था कि अगर हम इतने छोंटे हो जाएं कि माइक्रोस्कोप से भी नज़र न आएं तब हमारे शरीर पर गुरुत्वाकर्षण औैर ब्रह्मांड बिल्कुल अलग तरह का प्रभाव डालता है। इन्हीं प्रभावों के बारे में क्वांटम तकनीक इस्तेमाल की जाती है। यह दरअसल हमारे फिजिक्स की नींव है जो रसायन विज्ञान से भी जुड़ी हुई है जिसका सीधा संबंध जीव विज्ञान से है। इसलिए वैज्ञानिकों को फिजिक्स, केमिस्ट्रिी और बॉयोलॉॅजी की सटीक गणना के लिए ज्यादा बेहतर कम्प्यूटर तकनीक की जरुरत है जो तीनों में मौजूद किसी भी अनिश्चितता को संभाल सकती हो। ये काम क्वांटम कम्प्यूटर ही कर सकता है।
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कैसे काम करती है यह तकनीक
बिट्स के बजाय क्वांटम कंप्यूटर क्यूबिट्स का उपयोग करते हैं। यानी बिट्स की तरह ऑन या ऑफ की बजाय ये क्यूबिट्स उस स्थिति में भी हो सकते हैं जिसे 'सुपरपोजिशन' कहा जाता है, जहां वे एक ही समय में ऑन या ऑफ अथवा दोनों के बीच की स्थिति (स्पेक्ट्रम) में भी हो सकते हैं। क्यूबिट्स की सुपरपोजिशन ही क्वांटम तकनीक को इतना शक्तिशाली बनाती है। इसे ऐसे समझें कि अगर हम एक साधारण कम्प्यूटर को भूलभुलैया से बाहर निकलने का रास्ता बताने के लिए कहें तो वह हर संभव रास्ते को बारी-बारी से आजमाएगा जब तक कि सही रास्ता न मिल जाए जबकि एक क्वांटम कंप्यूटर एक ही बार में भूलभुलैया से बाहर निकलने वाले हर रास्ते को दिखा सकता है। यह दो संभावित सिरों के बीच मौजूद अनिश्चितता को


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