5 से 11 साल के बच्चों में एडल्ट्स के मुकाबले तीन गुना ज्यादा कोरोना का खतरा
5 से 11 साल की उम्र के बच्चों में एडल्ट्स के मुकाबले कोरोना होने की संभावना तीन गुना ज्यादा होती है
5 से 11 साल की उम्र के बच्चों में एडल्ट्स के मुकाबले कोरोना होने की संभावना तीन गुना ज्यादा होती है। यह दावा इंग्लैंड के इंपीरियल कॉलेज लंदन की एक ताजा रिसर्च में किया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे मामलों में कमी लाने के लिए बच्चों को वैक्सीन लगाना जरूरी है।
रिसर्च में कहा गया है कि टीनएज बच्चों और एडल्ट्स को लग रहे बूस्टर डोज के चलते छोटे बच्चे गंभीर रूप से बीमार नहीं हो रहे हैं। इसके अलावा, स्टडी के दौरान ओमिक्रॉन के मामलों में हर दिन 66% इजाफा देखा गया। बता दें कि इंग्लैंड ने हाल ही में खराब इम्यूनिटी वाले बच्चों के लिए वैक्सीन को मंजूरी दे दी है।
ऐसे हुई रिसर्च
इंपीरियल कॉलेज लंदन और मार्केट रिसर्च कंपनी इप्सोस मोरी के वैज्ञानिकों ने रिसर्च में बच्चों में कोरोना के 97,000 सैंपल टेस्ट किए। इन्हें 23 नवंबर से 14 दिसंबर के बीच लिया गया था। रिजल्ट में करीब 4.47% प्राइमरी स्कूल के बच्चों में वायरस की पुष्टि हुई, जबकि देश भर में ये आंकड़ा सिर्फ 1.41% है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, वैक्सीनेशन के कारण टीनएज बच्चों में कोरोना के मामले आधे हो गए हैं। पहले यही ग्रुप कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित था। इसके अलावा, 75 साल की उम्र से ज्यादा के लोगों में कोरोना के मामलों में दो-तिहाई की गिरावट आई है।
छोटे बच्चों में ओमिक्रॉन भी
लीड शोधकर्ता पॉल एलियट का कहना है कि 11 दिसंबर तक हुई वायरल सीक्वेंसिंग के डेटा के अनुसार, बच्चों में 650 में से 11 मामले ओमिक्रॉन के थे। बचे हुए मामले कोरोना के पुराने वैरिएंट डेल्टा के थे। एलियट के मुताबिक, स्टडी के दौरान ओमिक्रॉन के मामलों में हर दिन 66% इजाफा हो रहा था। यह डेल्टा के संक्रमण फैलने की गति से 3.5 गुना ज्यादा था।
बच्चों के लिए वैक्सीन को मंजूरी
इंग्लैंड में 5 से 11 साल के उन बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन की कम खुराक को मंजूरी दे दी गई है, जिन्हें गंभीर बीमारियां हैं या जिनकी इम्यूनिटी अच्छी नहीं है। इससे इन बच्चों में कोरोना संक्रमण कम होगा। साथ ही, एडल्ट्स और टीनएज बच्चों को लगाए जा रहे बूस्टर डोज के कारण भी छोटे बच्चे संक्रमण से बच रहे हैं।
एलियट कहते हैं कि भले ही उनके देश में ओमिक्रॉन तेजी से फैल रहा है, लेकिन वैक्सीनेशन की बढ़ती रफ्तार के कारण ये वैरिएंट बच्चों या एडल्ट्स के लिए घातक साबित नहीं होगा।