कार्बन उत्सर्जन: 50 हजार करोड़ का झटका, जानें पूरी डिटेल्स

Update: 2022-07-14 02:42 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: हाल ही में एक शोध किया गया है, जिसमें कहा गया है कि वैज्ञानिक आधार पर गणना करने पर यह पता लग सकता है कि एक देश के कार्बन उत्सर्जन ने दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान पहुंचाया है. जलवायु परिवर्तन पर हो रही बहस में, इस शोध को गेम-चेंजर के रूप में देखा जा रहा है.

अमेरिका के डार्टमाउथ कॉलेज (Dartmouth College) ने यह शोध किया है, जिसमें पाया गया कि भारी प्रदूषण फैलाने वाले छोटे समूहों ने अपने कार्बन उत्सर्जन की वजह से होने वाली वार्मिंग से खरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान किया है. दक्षिण के गर्म और गरीब देशों ने सबसे ज्यादा नुकसान किया है.
अमेरिका और चीन, दुनिया के दो प्रमुख उत्सर्जक हैं, जिन्होंने 1990 से 2014 तक वैश्विक आय में 1.8 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान किया है. जबकि, रूस, भारत और ब्राजील ने इसी दौरान अलग-अलग 500 बिलियन डॉलर (50 हजार करोड़) से ज्यादा का नुकसान किया है.
विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि 143 देशों में, किसी एक देश से हुए कार्बन उत्सर्जन ने दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान पहुंचाया है.
शोध के वरिष्ठ शोधकर्ता जस्टिन मैनकिन (Justin Mankin) का कहना है कि यह शोध अन्य देशों की जलवायु-परिवर्तन वाली गतिविधियों की वजह से, अलग-अलग देशों को हुए वित्तीय नुकसान का कानूनी तौर पर अनुमान भी लगाता है. शोध में हर देश से बातचीत करके, 20 लाख संभावित वैल्यू ली गईं . इसकी गणना करने के लिए सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल किया गया.
गर्म तापमान देश को आर्थिक तौर पर काफी नुकसान पहुंचा सकता है. यह नुकसान, अलग-अलग चैनलों के जरिए होता है, जैसे कृषि उपज कम होना या गर्मी में श्रम उत्पादकता कम होना. इसके विपरीत, उत्तर के कुछ ठंडे देशों में, वार्मिंग फसल की पैदावार बढ़ाकर उत्पादन बढ़ा सकती है.
शोध से पता चला है कि अमेरिका के उत्सर्जन ने मेक्सिको को 1990-2014 के बीच जीडीपी का कुल 79.5 बिलियन डॉलर का नुकसान पहुंचाया. जबकि, कनाडा पर 247.2 बिलियन डॉलर का फायदा हुआ था. ये आंकड़े 2010 की मुद्रास्फीति दर और अमेरिकी डॉलर की तत्कालीन वैल्यू के हिसाब से निकाले गए हैं.
पिछले दो दशकों में, जलवायु संबंधी मुकदमों की संख्या जो मुश्किल से मुट्ठी भर थी वह अब बढ़कर एक हजार से भी ज्यादा हो गई है. 
Tags:    

Similar News

-->