वैज्ञानिकों का बड़ा खुलासा- बताया इंसान आज भी क्यों करता है गलतियां
प्रकृति में मौजूद सभी जीवों में इंसान सबसे बुद्धिमान और विकसित प्रजाति है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रकृति में मौजूद सभी जीवों में इंसान सबसे बुद्धिमान और विकसित प्रजाति है। लेकिन, इस तरक्की के बावजूद हम अब भी 'परफेक्ट' क्यों नहीं है। बाथ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस सवाल के जवाब में हाल ही कुछ रोचक खुलासे किए हैं। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विभिन्न जीवों के जीनोम का अध्ययन कर पता लगाया कि डीएनए खुद को परफेक्ट बनाने के लिए टीएए, टीजीए और टीएजी नाम के तीन अनुवांशिक कोड चुनते हैं। टीएए सबसे बेहतर जीन होता है। बाथ विश्वविद्यालय के एलेक्स हो और लॉरेंस हस्र्ट द्वारा हाल ही में किए गए इस अनुसंधान में दोनों ने स्तनधारी जीवों की प्रजातियों से लेकर अमीबा जैसे एक कोशिकीय जीवों व शैवाल की एक विस्तृत श्रृंखला के जीनोम का अध्ययन किया है।
...तो क्या इसलिए, 'परफेक्ट' नहीं हैं हम
डीएनए की यह कमी जिम्मेदार
शोधकर्ता एलेक्स हो और लॉरेंस हस्र्ट का कहना है कि बैक्टीरिया का डीएनए टीएए नामक सबसे अच्छे अनुवांशिक कोड को चुनते हैं। वहीं इंसानी डीएनए में गलतियां बार-बार दोहराने की प्रवृत्ति होती है। जबकि बैक्टीरिया के डीएनए उसकी पिछली कमियों को दूर कर गलतियां नहीं दोहराते। उन्होंने प्रोटीन बनाने के लिए कोशिकाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले आनुवांशिक प्रक्रिया की भी तुलना की। विशेष रूप से उन निर्देशों की जिन्हें स्टॉप कोडोन कहते हैं जो अंत में कोशिका को कोड पढऩा बंद करने के लिए कहते हैं। प्रोटीन बनाते समय, हमारे डीएनए को स्ट्रिंग में पढ़ा जाता है। एक स्ट्रिंग के अंत में स्टॉप कोडोंस को कोशिका को पढऩा बंद करने के लिए कहता है। अधिकांश जीवों में अपने अंदर मौजूद किसी भी जीन में से तीन एक समान स्टॉप कोडोन (टीएए, टीजीए और टीएजी) में से एक का उपयोग करने का विकल्प होता है।
जीन तय करते हैं हमारा 'परफेक्शन'
शोधकर्ता एलेक्स हो और लॉरेंस हस्र्ट ने पाया कि कुछ जीन कम कुशल स्टॉप कोडोन का उपयोग करते हैं, जबकि प्राकृतिक चयन विकास के कारण अधिकांश जीनों को अधिक कुशल कोडोन यानी टीएए का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने पाया कि मनुष्यों और अन्य स्तनधारियों में जहां आबादी अपेक्षाकृत छोटी और प्रजनन धीमा है, उनमें सबसे अधिक व्यक्त जीन टीएए का चयन किया गया। प्रो. लारेंस हस्र्ट का कहना है कि मनुष्यों में प्राकृतिक चयन बहुत कुशल नहीं है और इसलिए हमारा डीएनए एक प्राचीन जंग लगी मोटर कार के समान खत्म हो जाता है। यह बस कार्य करने में सक्षम है। जबकि बैक्टीरिया के डीएनए उसे हर बार शोरूम से बाहर आई किसी नई मशीन की तरह काम करने में सक्षम बनाते हैं। उनका शोध इस ओर भी इशारा करता है कि मानव डीएनए में गलतियां बार-बार दोहराने की खराब गुणवत्ता है जोमनुष्यों जैसे जटिल जीव के लिए एक जटिल मशीन के हिस्से के रूप में काम करता है।