बड़ा झटका! जिसे वैज्ञानिकों ने माना 'जीवन का संकेत', वो निकला ज्वालामुखी विस्फोट
न्यूयॉर्क की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हवाई और चिली के स्पेस टेलीस्कोप के डाटा का अध्ययन किया है
न्यूयॉर्क की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हवाई और चिली के स्पेस टेलीस्कोप के डाटा का अध्ययन किया है. समीक्षा के बाद शोधकर्ताओं ने कहा है कि फोस्फिन गैस के 'केमिकल फिंगरप्रिंट' एक तरह से जियोलॉजिकल सिग्नेचर हैं, जो शुक्र पर ज्वालामुखी विस्फोट के सबूत हैं.
फोस्फिन (PH3) को हाइड्रोजन फोस्फाइड भी कहा जाता है. यह गैस रंगहीन होती है. साथ ही यह बहुत तेजी से आग पकड़ती है. यह गैस बहुत ही ज्यादा जहरीली होती है और इसमें से लहसुन जैसी तेज गंध आती है. माना जाता है कि फोस्फिन पृथ्वी के माइक्रोऑरगेनिज्म से निकलती है और इसे सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ती. इस वजह से वैज्ञानिकों को उम्मीद जगी कि इस ग्रह पर जीवन हो सकता है.
पिछले साल सितंबर में कार्डिफ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने बताया था कि उन्हें शुक्र ग्रह पर एसिडिक बादलों में बड़ी मात्रा में गैस मिली है. इस रिपोर्ट को 2020 की सबसे बड़ी खोज में से एक बताया गया था. मगर इस पर शुरुआत से ही आशंका जताई जा रही थी.
कॉर्नेल में एस्ट्रोनॉमी विभाग के चेयर और फिजिकल साइंस के प्रोफेसर जोनाथन लुनिन के नेतृत्व में यह अध्ययन हुआ है. उनका कहना है, 'फोस्फिन हमें शुक्र ग्रह की बायोलॉजी के बारे में नहीं बताते हैं. यह हमें जियोलॉजी के बारे में बताते हैं. विज्ञान इस बात के संकेत दे रहा है कि इस ग्रह पर सक्रिय ज्वालामुखी हैं और इतिहास में भी यहां बड़े ज्वालामुखी रहे हैं.
शुक्र ग्रह हमारी धरती के आकार के बराबर ही है. मगर यहां तापमान बहुत ही ज्यादा है. यहां का तापमान 464 डिग्री सेल्सियस तक है. हमारी पृथ्वी से तुलना करें तो शुक्र ग्रह 92 गुना ज्यादा गरम है. इस वजह से इसे पृथ्वी का 'शैतान जुड़वां' भाई कहा जाता है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि शुक्र ग्रह पर 700 मिलियन वर्ष पहले जीवन रहा होगा. मगर बाद में रहस्यमयी ढंग से यहां जीवन खत्म हो गया. आज के समय में शुक्र ग्रह ब्रह्मांड में सबसे ज्यादा गर्म और एटमोसफेरिक प्रेशर वाला ग्रह है. यहां खतरनाक गैस के बादल भी हैं.