बड़ी उपलब्धि: चंद्रयान-2 ने चंद्रमा पर ऑर्गन-40 गैस खोजी, नहीं थी वैज्ञानिकों को उम्मीद
नई दिल्ली: देश के चंद्रयान-2 मिशन के ऑर्बिटर ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. चंद्रमा के बाहरी वातावरण में ऑर्गन-40 गैस की मौजूदगी का पता चला है. चंद्रमा के सबसे बाहरी आवरण यानी एक्सोस्फीयर में ऑर्गन-40 गैस फैली हुई है. इस अहम खुलासे से चंद्रमा की सतह के बारे में कई नई जानकारियां मिल सकेंगी. गैस की मौजूदगी के खुलासे से चंद्रमा को लेकर जारी स्टडी में मदद मिलने की उम्मीद है. ऑर्गन-40 गैस की मौजूदगी को लेकर खोज आर्बिटर पर मौजूद एटमोस्फियरिक कंपोजिशन एक्सप्लोरर-2 (CHACE-2) ने की. इसरो (ISRO) ने मंगलवार को बताया कि चांद पर ऑर्गन-40 गैस की मौजूदगी पहले भी मिली थी लेकिन हालिया खोज में इस गैस के उन जगहों में होने की जानकारी मिली है जिसे लेकर वैज्ञानिकों को उम्मीद नहीं थी.
इसरो ने कहा कि आर्गन-40 चंद्र एक्सोस्फेरिक स्पेसीज की गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए एक अहम ट्रेसर परमाणु है. Ar-40 चंद्र सतह के नीचे मौजूद पोटेशियम -40 (K-40) के रेडियोधर्मी विघटन से निकलता है. इसरो ने कहा कि हालांकि अपोलो-17 और LADEE मिशनों ने चंद्र एक्सोस्फीयर में ऑर्गन-40 की उपस्थिति का पता लगाया है. ये माप चंद्रमा के निकट-भूमध्यरेखीय क्षेत्र तक ही सीमित थे. नई खोज को लेकर निष्कर्ष 'जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स' पत्रिका में प्रकाशित की गई है. CHACE-2 अवलोकनों से पता चलता है कि Ar-40 वितरण में महत्वपूर्ण स्थानिक विविधता है. एटमोस्फियरिक कंपोजिशन एक्सप्लोरर- 2 (CHACE- 2) एक मास स्पेक्ट्रोमीटर टूल्स है जो तत्वों के घनत्व, मूल केमिकल और मॉलिक्यूल्स के स्ट्रक्चर को मापने के काम आता है.
गौरतलब है कि साल 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के तहत चांद की सतह पर लैंडर और रोवर को उतारा जाना था लेकिन इसमें विफलता मिली थी. मिशन के पहले हिस्से के तहत इसका ऑर्बिटर चंद्रमा के ऑर्बिट में स्थापित किया गया था और यह सफलतापूर्वक अपना काम कर रहा है. इसरो के मुताबिक चेस-2 अवलोकन चंद्रमा के भूमध्यरेखीय और मध्य अक्षांश क्षेत्रों में फैली ऑर्गन-40 की दैनिक और स्थानिक भिन्नता की जानकारी देते हैं. इसरो के मुताबिक 1972 में अमेरिका का मिशन अपोलो 17 ने सबसे पहले चंद्रमा पर ऑर्गन-40 को लेकर पुष्टि की थी.