'नवजात सूरज' का चक्कर लगाते हुए पैदा हो रहा है बेबी ज्यूपिटर, धरती से 500 प्रकाश वर्ष दूर

Update: 2022-04-12 18:04 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। धरती से 500 प्रकाश वर्ष दूर अंतरिक्ष में एक नवजात सूरज (Infant Sun) है. जिसके चारों तरफ चक्कर लगाते हुए एक बेबी ज्यूपिटर (Baby Jupiter) का जन्म हो रहा है. यह बृहस्पति ग्रह की तरह ही गर्म गैस जायंट (Hot Gas Giant) है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे उन्हें किसी नए तारे के जन्म की प्रक्रिया सीखने को मिलेगी. वह भी लाइव. क्योंकि नासा के वैज्ञानिक इस तारे के निर्माण को धरती से लगातार देख रहे हैं.

पहली बार साल 1990 में किसी सुदूर तारे को खोजा गया था. लेकिन तब से लेकर अब तक किसी तारे के बनने की प्रकिया को समझ पाना एक बेहद जटिल प्रक्रिया थी. एक नई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि धरती से 500 प्रकाश वर्ष दूर बृहस्पति (Jupiter) जैसे गैसीय ग्रह का निर्माण हो रहा है. इसलिए अब साइंटिस्ट इसे लाइव देखकर इसके बनने के प्रोसेस को सीधे देख सकेंगे.
बेबी ज्यूपिटर (Baby Jupiter) बन रहा है, यह बनने की प्रक्रिया में चारों तरफ से अंतरिक्षीय वस्तुओं को अपनी ओर खींच रहा है. इसके चारों तरफ काफी ज्यादा धूल और गैस के छल्ले हैं. इसके अलावा इन छल्लों से बेबी ज्यूपिटर के ऊपर बिजलियां कड़क रही हैं. हैरानी की बात ये है कि ये जिस तारे के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है, उसका जन्म भी नया है. वह भी नवजात सूरज है. 
 हमारी धरती और अन्य ग्रहों की उत्पत्ति के बारे में खोजबीन 1700 के मध्य में शुरू हुई थी. तब जर्मन फिलॉस्फर इमैनुएल कांट ने कहा था कि सूरज और उसका परिवरा किसी घूमते हुए प्राइमोर्डियल बादल से बना था. इसे बाद में फ्रांसीसी साइंटिस्ट पियरे लाप्लेस ने और व्यवस्थित किया. उन्होंने कांट के हाइपोथिसिस का विस्तृत वर्णन किया. साथ ही हमारे सौर मंडल के बारे में बारीकियां बताईं.
1990 के मध्य में सौर मंडल के बाहर नया तारा खोजा गया. शुरुआत हुई साइंटिफिक विवादों की. तब से लेकर अब तक यह पता चल पाया है कि हर ग्रह, तारे के निर्माण की कोई एक कॉमन प्रक्रिया नहीं है. हर तारे और हर ग्रह के बनने में अलग-अलग फैक्टर्स काम करते हैं. जैसे शनि ग्रह और बृहस्पति जैसे गैसीय ग्रहों के बनने की शुरुआत कोर एक्रीशन से होती है.
कांट के बताए गए प्राइमॉर्डियल बादलों के गैसों और सूक्ष्म कणों के मिलने की प्रक्रिया को कोर एक्रीशन कहते हैं. पहले चिपटे घूमती हुई तश्तरी की तरह होते हैं, बाद में ये एकसाथ मिलकर तारे का गर्म कोर बनाते हैं. इससे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक शक्ति विकसित होती है, फिर इसके ऊपर पत्थर, धूल आदि चिपकते जाते हैं. ग्रह का निर्माण होता चला जाता है.
बेबी ज्यूपिटर (Baby Jupiter) की स्टडी करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि ये ग्रह काफी बड़ा है. बेबी शब्द पर जाने की जरूरत नहीं है. यह अपने तारे AB Aurigae के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है. यह तारा एक नवजात सूरज है. जिसके चारों तरप बहुत खूबसूरत घुमावदार डिस्क बनी हुई है.
सिर्फ इतना ही नहीं, बेबी ज्यूपिटर (Baby Jupiter) के चारों तरफ बनी डिस्क में लहरें भी पैदा हो रही हैं. जिसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति आसपास की चीजों को अपनी ओर खींच रही है. लेकिन अभी तक इस बात के सबूत नहीं मिले हैं कि इस ग्रह का निर्माण कैसे हो रहा है. इस बेबी ज्यूपिटर को AB Aurigae b नाम दिया गया है. इसके चारों तरफ करीब 2000 डिग्री सेल्सियस का तापमान है.
वैज्ञानिकों ने कहा कि ऐसे ग्रहों के निर्माण की स्टडी करने के लिए हमें ज्यादा बड़े और ताकतवर टेलिस्कोप की जरूरत है. ताकि हम ग्रहों के बनने की प्रक्रिया और उससे जुड़ी पहेली को सुलझा सकें. बेबी ज्यूपिटर के बारे में स्टडी रिपोर्ट नेचर जर्नल में प्रकाशित हुई है


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