गुरु के वायुमडंल में ग्रह के आकार का क्या मिला है खगोलविदों को

हमारे सौरमंडल का गुरु ग्रह का वायुमडंल (Atmosphere of Jupiter) सबसे अनोखे वायुमंडलों में से एक है. इसके बारे में नई और चौंकाने वाली जानकारियां मिलती रहती है. उसको देखने पर जो सिंदूरी रंग का दाग दिखाई देता है वह भी वायुमंडल के कारण है. इसके ध्रुवों पर भी तूफानों की आकृति की नियमितता ने खगोलविदों को परेशान कर रख था.

Update: 2022-10-01 06:09 GMT

हमारे सौरमंडल का गुरु ग्रह का वायुमडंल (Atmosphere of Jupiter) सबसे अनोखे वायुमंडलों में से एक है. इसके बारे में नई और चौंकाने वाली जानकारियां मिलती रहती है. उसको देखने पर जो सिंदूरी रंग का दाग दिखाई देता है वह भी वायुमंडल के कारण है. इसके ध्रुवों पर भी तूफानों की आकृति की नियमितता ने खगोलविदों को परेशान कर रख था. अब इसी वायुमडंल में पृथ्वी के आकार से दस गुना बड़ी ग्रीष्म लहर (Heat Wave of Jupiter) की खोज हुई है. इस लहर के पीछे गुरु के ध्रुवों पर एक स्थायी ऑरोर (Permanent Auroras) सौर पवने कारण हो सकते हैं. वैज्ञानिकों को लगता है कि वे सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह के वायुमडंल के रहस्य सुलझा सकते हैं.

कितना बड़ा और गर्म है ये

इस ग्रीष्म लहर की रोचक बात यह है यह 130 हजार किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है और पृथ्वी के आकार से 10 गुना बड़ा क्षेत्र है. इसके अलावा यह लहर 24 हजार मीटर प्रति सेंकेड की रफ्तार से बह रही है और इसका तापमाम 700 डिग्री सेल्सियस तक का है. सूर्य से काफी दूर होने पर गुरु ग्रह पर इतने ज्यादा तापमान की परिघटना वाकई में चकित करती है.

एक नक्शे से मिली मदद

जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा के खगोलविद जेम्स ओ'डोनोग्यू ने बताया कि उन्होंने पिछला साल ही गुरु ग्रह के वायुमंडल के ऊपरी हिस्से के तापमान का नक्शे को बनाया था जिससे इस तरह के ऊष्मा स्रोतों की पहचान की जा सके. वैज्ञानिकों का कहना हैकि इस सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह के वायुमंडल के कुछ अजीब से रहस्यों को सुलझाने में मदद मिल सकती है.

क्या हो सकती है वजह

इस वजह के बारे में शोधकर्ताओं का कहना है कि गुरु ग्रह के ध्रुवों पर स्थायी ऑरोर यहां अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान कर यहां की गैसों को गर्म कर रहे होंगे जो हमारी उम्मीदों से कहीं ज्यादा है. इसके अलावा घनी सौर पवनों की भी इन ग्रीष्म लहर के बनने और कायम रहने में योगदान हो सकता है.

बहुत दूर है गुरु, फिर भी!

करीब 50 साल पहले, 1970 के दशक में वैज्ञानिको को गुरु ग्रह के वायुमंडल में पहली बार अंदेसा हुआ था कि वहां कुछ असामान्य सा है. यह विशाल ग्रह पृथ्वी की तुलना में करीब 5 गुना ज्यादा दूरी पर है और पृथ्वी पहुंचने वाले सौर विकिरण की तुलना में केवल 4 प्रतिशत सौर विकिरण प्राप्त करता है. इसके ऊपरी वायुमंडल का औसत तापमान करीब -73 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए.

उम्मीद से ज्यादा तापमान

लेकिन हकीकत यह है कि गुरु का ऊपरी वायुमंडल का तामान करीब 420 डिग्री सेल्सियस रहता है. सूर्य से इतनी दूरी होने पर भी इतना ज्यादा तापमान हैरान करने वाली बात है. इसका साफ मतलब है कि गुरु ग्रह पर कुछ और भी चल रहा है जिसकी हमें जानकारी नहीं थी. ओ'डोनोग्यू और उनके साथियों ने पिछले साल ही गुरु का पहला ऊष्मा नक्शा तैयार किया था.

गुरु और पृथ्वी के ऑरोर

गुरु ग्रह को ऑरोर बहुत ही शक्तिशाली होते हैं लेकिन वे इंसानो को दिखाई नहीं दे सकते हैं वहीं इसके विपरीत पृथ्वी के ऑरोर चमकीले तो दिखते हैं, लेकिन उनका गर्मी पैदा करने में कोई योगदान नहीं होता है. फिर भी दोनों तरह के ऑरोर के निर्माण का कारण एक ही है. दोनों आवेशित कणों और मैग्नेटिक फील्ड के बीत अंतरक्रिया से ही बनते हैं.

क्रेडिट ; न्यूज़ 18 

Tags:    

Similar News

-->