अंटार्कटिका: ब्रिटिश रिसर्च स्टेशन के पास गिरा बर्फ का विशाल टुकड़ा, साइज इतना की हर कोई हैरान
अंटार्कटिका में इस समय हलचल तेज हो गई है
Iceberg Breaks Off Near Britain Research Station: अंटार्कटिका (Antarctica) में इस समय हलचल तेज हो गई है. यहां ब्रिटेन के रिसर्च स्टेशन (British Research Station) के पास एक बड़ा भर्फ का टुकड़ा गिरा है, जिसका आकार बेहद बड़ा है. इस बात की जानकारी ब्रिटिश अंटार्कटिका सर्वे (British Antarctic Survey) में सामने आई है. रिसर्च संस्था ने कहा है कि बर्फ के टुकड़े का आकार 490 वर्ग मील (1270 वर्ग किलोमीटर) है. यानी न्यूयॉर्क शहर (New York City) से भी बड़ा. इसकी मोटाइ करीब 150 मीटर है. ये घटना शुक्रवार की बताई जा रही है. जिस प्रक्रिया के तहत ऐसा हुआ है उसे काल्विंग कहा जाता है.
इससे पहले वैज्ञानिकों ने शेल्फ में दरारें देखी थीं. जिसके करीब एक दशक के बाद ऐसी घटना देखने को मिली है. शुक्रवार सुबह आइसबर्ग के पूरी तरह टूटने से पहले कई हजार मीटर तक बर्फ में गहरी दरारें देखी जा रही थीं. ब्रिटेन का हैली VI रिसर्च स्टेशन (Halley VI Research Station) यहां के आइस शेल्फ की रोजाना निगरानी करता है. जिसके बाद से इस बात की पूरी आशंका थी कि कभी ना कभी ऐसी घटना देखने को मिल सकती है.
रिसर्च बेस का स्थान बदला गया था
मामले में बीएएस के निदेशक जेन फ्रांसिस ने कहा, 'बीएएस (BAS) पर हमारी टीमें इस घटना के लिए बीते कई साल से तैयार थीं.' इससे पहले इस मोबाइल रिसर्च बेस (Mobile Research Base) को सुरक्षा कारणों के चलते साल 2016-2017 में दूसरे स्थान पर पहुंचाया गया था. क्योंकि उस वक्त भी डर था कि कोई बड़ा बर्फ का टुकड़ा उसपर गिर सकता है. हालांकि जहां ये बर्फ का टुकड़ा गिरा है, उससे ब्रिटिश रिसर्च स्टेशन ज्यादा दूर नहीं है. बीएएस के ऑपरेशंस निदेशक सिमन गैरोड कहते हैं, 'वो एक बेहतर फैसला था.'
बेस में रहती है 12 लोगों की टीम
ग्लेशियर मामलों के जानकारों का कहना है कि ये ताजा घटना स्टेशन की वर्तमान जगह को प्रभावित नहीं करेगी. इस बेस में कुल 12 लोगों की टीम रहती है, जो इसी महीने सर्दी के कारण वापस लौट आई थी. बेशक टीम यहां नहीं है लेकिन जीपीएस उपकरणों से यहां का डाटा जांच के लिए कैंब्रिज के सेंटर में भेजा गया है. जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण बर्फ के टुकड़े टूटकर समुद्र में गिर जाते हैं. इस मामले में बीएएस का कहना है कि, 'ऐसा कोई सबूत नहीं है कि इसमें जलवायु परिवर्तन अहम भूमिका निभा रहा है. ' बीएएस को इस क्षेत्र के पर्यावरण की रिसर्च करने के मामले में वर्ल्ड लीडर माना जाता है.