कृषि वैज्ञानिक ने विकसित की गेहूं की 20 नई प्रजातियां
गेहूं की 20 नई प्रजातियां
जिले के कृषि वैज्ञानिक ने तैयार की गेहूं की 20 नई प्रजातियां- इंडियन सोसायटी ऑफ जेनेटिक एंड प्लांट ब्रीडिंग (आईएसजीपीबी) की फेलोशिप मिली , संवाद न्यूज एजेंसी
पडरौना (कुशीनगर)। जिले के कृषि वैज्ञानिक ने देश के विभिन्न क्षेत्रों की जलवायु के अनुरूप रोगरोधी व उच्च पैदावार क्षमता वाली गेहूं की 20 नई प्रजातियां विकसित की है। इसके लिए इंडियन सोसाइटी ऑफ जेनेटिक एंड प्लांट ब्रीडिंग (आईएसजीपीबी) की तरफ से फेलोशिप-2020 मिली है। देश के कुल 11 कृषि वैज्ञानिकों को यह फेलोशिप दी गई है।
कसया तहसील क्षेत्र के सखवनिया निवासी वैभव भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली में बतौर कृषि वैज्ञानिक (शोध) के पद पर तैनात हैं। उन्होंने एचडी 3178 पूजा वत्सला, एचआई 8737 पूजा अनमोल, एचडी 3226, एचडी 3271 समेत गेंहू की 20 प्रजातियां विकसित की है। एचडी 3226 व एचडी 3271 प्रजाति पूर्वी यूपी और पश्चिम बिहार के जिलों की जलवायु के अनुरूप हैं। फेलोशिप मिलने के बाद वैभव ने पत्रकारों से ऑनलाइन बातचीत कर यह जानकारी दी।
वैभव ने बताया कि नई प्रजातियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता उच्च स्तर की है। जिससे पैदावार में वृद्धि होगी और लागत भी कम आएगी। उन्होंने बताया कि देश की जनसंख्या 2050 में लगभग 1.7 अरब हो जाएगी। उस समय बड़े अनाज भंडार की जरूरत होगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विज्ञानियों के समक्ष यह सबसे बड़ी समस्या है। दूसरी चुनौती जलवायु में निरंतर हो रहे बदलाव की है। कम लागत व कम अवधि में पकने वाली गेहूं की प्रजाति विकसित करने पर शोध चल रहा है। इस बात पर भी जोर है कि संभावित प्रजातियां देश के सभी प्रदेशों की भिन्न-भिन्न जलवायु, मिट्टी व वातावरण में समान रूप से विकसित हों।
वैभव को फेलोशिप मिलने की जानकारी होने पर उनके पैतृक गांव में हर्ष का माहौल है। उन्होंने इंटरमीडिएट तक की शिक्षा गांव के महात्मा गांधी इंटर कॉलेज से साल 1999 में उतीर्ण की थी। कृषि से बीएससी गोरखपुर विश्विद्यालय से किया। एमएससी चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय व पंतनगर विश्विद्यालय से पीएचडी कर कृषि विज्ञानी बने। इस उपलब्धि पर चंद्रभूषण सिंह, बलवंत सिंह, दिवाकर राव, रमाशंकर मणि त्रिपाठी, शैलेंद्र सिंह, संजय यादव, जाहिद अंसारी आदि ने उन्हें बधाई दी है।