चंद्रयान, मंगलयान के बाद अब शुक्रयान में मिशन भेजने की तैयारी में ISRO, गर्म ग्रह पर खोजेगा जीवन के निशान
चंद्रयान और मंगलयान से उत्साहित भारतीय स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) अब शुक्र की ओर अपना मिशन भेजने की तैयारी में है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : बेंगलुरु: चंद्रयान और मंगलयान से उत्साहित भारतीय स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) अब शुक्र की ओर अपना मिशन भेजने की तैयारी में है। शुक्रयान-1 के तहत हमारे सोलर सिस्टम के सबसे गर्म ग्रह शुक्र को स्टडी करने के लिए ISRO ने मिशन का प्रस्ताव दिया है। धरती के सबसे करीबी ग्रह शुक्र का वायुमंडल काफी घना है। इसकी सतह पर तापमान 470 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और यहां दबाव धरती की तुलना में 90 गुना ज्यादा है। इंसान तो दूर, किसी स्पेसक्राफ्ट के ऐसी स्थिति में वहां पहुंचना न के बराबर है। हालांकि, ताजा स्टडीज के आधार पर वहां जीवन की मौजूदगी के संकेत मिले हैं।
मिशन में क्या होगा शामिल?
दरअसल, शुक्र की सतह के 50 किमी ऊपर धरती जैसा तापमान और दबाव पाया गया है। वैज्ञानिकों को इस क्षेत्र में माइक्रोब्स भी मिले हैं। ISRO ने जिस मिशन का प्रस्ताव दिया है, उसके तहत ग्रह का चक्कर लगाया जाएगा और इसके वायुमंडल की केमिस्ट्री को स्टडी किया जाएगा। सोलर रेडिएशन और सोलर विंड के बीच स्पेसक्राफ्ट को ISRO के सबसे अडवांस्ड GSLV मार्क iii के साथ लॉन्च किया जाएगा। इस पर भारत के 16 और 7 अंतरराष्ट्रीय पेलोड होंगे जो शुक्र का चक्कर काटेंगे और चार साल तक उसे स्टडी करेंगे।
इस साल शुक्र पर अहम खोज
इसी साल सितंबर में इंटरनैशनल ऐस्ट्रोनॉमर्स की एक टीम को शुक्र के वायुमंडल में फॉस्फीन गैस मिली थी। इससे पहले यूरोपियन स्पेस एजेंसी के मिशन वीनस एक्सप्रेस को 2022 में ऊपरी वायुमंडल में ओजोन के निशान मिले थे। इन्हें बायोमार्कर (Biomarker) कहते हैं जो किसी ग्रह पर जीवन के संकेत की संभावना जताते हैं।
रूस, फ्रांस और स्वीडन साथ आए
VIRAL (वीनस इन्फ्रारेड अटमॉस्फीरिक गैसेज लिंकर) इंस्ट्रुमेंट को रूस की फेडरल स्पेस एजेंसी Roscosomos और LATMOS अटमॉस्फीयर्स, फ्रांस के साइंटिफिक रिसर्च सेंटर के साथ मिलकर बनाया जा रहा है। वहीं, स्वीडन ने भी अब इससे जुड़ने का फैसला किया है। वह ग्रह पर खोज करने के लिए एक वैज्ञानिक उपकरण उपलब्ध कराएगा। भारत में स्वीडन के राजदूत, क्लास मोलिन ने कहा कि इसमें स्वीडिश अंतरिक्ष भौतिकी संस्थान (आईआरएफ) भारत का सहयोग करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ आईआरएफ का यह दूसरा सहयोग है।
दरअसल, शुक्र की सतह के 50 किमी ऊपर धरती जैसा तापमान और दबाव पाया गया है। वैज्ञानिकों को इस क्षेत्र में माइक्रोब्स भी मिले हैं। ISRO ने जिस मिशन का प्रस्ताव दिया है, उसके तहत ग्रह का चक्कर लगाया जाएगा और इसके वायुमंडल की केमिस्ट्री को स्टडी किया जाएगा। सोलर रेडिएशन और सोलर विंड के बीच स्पेसक्राफ्ट को ISRO के सबसे अडवांस्ड GSLV मार्क iii के साथ लॉन्च किया जाएगा। इस पर भारत के 16 और 7 अंतरराष्ट्रीय पेलोड होंगे जो शुक्र का चक्कर काटेंगे और चार साल तक उसे स्टडी करेंगे।
इस साल शुक्र पर अहम खोज
इसी साल सितंबर में इंटरनैशनल ऐस्ट्रोनॉमर्स की एक टीम को शुक्र के वायुमंडल में फॉस्फीन गैस मिली थी। इससे पहले यूरोपियन स्पेस एजेंसी के मिशन वीनस एक्सप्रेस को 2022 में ऊपरी वायुमंडल में ओजोन के निशान मिले थे। इन्हें बायोमार्कर (Biomarker) कहते हैं जो किसी ग्रह पर जीवन के संकेत की संभावना जताते हैं।
रूस, फ्रांस और स्वीडन साथ आए
VIRAL (वीनस इन्फ्रारेड अटमॉस्फीरिक गैसेज लिंकर) इंस्ट्रुमेंट को रूस की फेडरल स्पेस एजेंसी Roscosomos और LATMOS अटमॉस्फीयर्स, फ्रांस के साइंटिफिक रिसर्च सेंटर के साथ मिलकर बनाया जा रहा है। वहीं, स्वीडन ने भी अब इससे जुड़ने का फैसला किया है। वह ग्रह पर खोज करने के लिए एक वैज्ञानिक उपकरण उपलब्ध कराएगा। भारत में स्वीडन के राजदूत, क्लास मोलिन ने कहा कि इसमें स्वीडिश अंतरिक्ष भौतिकी संस्थान (आईआरएफ) भारत का सहयोग करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ आईआरएफ का यह दूसरा सहयोग है।