एक युवती को गलती से किया मृत घोषित, परिवार ने ठोका अरबों का मुकदमा...
अमेरिका के मिशिगन राज्य में डेट्रॉयट के एक उपनगरीय इलाके में मृत घोषित कर दी गई
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| अमेरिका के मिशिगन राज्य में डेट्रॉयट के एक उपनगरीय इलाके में मृत घोषित कर दी गई एक जीवित महिला ने गुरुवार को 50 मिलियन डॉलर (करीब 3 अरब 66 करोड़ रुपये) का मुकदमा दायर किया है। महिला के परिवार के वकील ने यह मुकदमा उपनगरीय डेट्रॉयट के एक समुदाय और इसके पहले उत्तरदाताओं में से चार के खिलाफ किया है।
अटॉर्नी जियोफ्रे फीगर ने डेट्रोइट में अमेरिकी जिला अदालत में दायर मुकदमे की घोषणा करते हुए एक विज्ञप्ति में कहा कि 20 वर्षीय टिमहा ब्यूचैंप को एक बॉडी बैग में रखा गया था और उन्हें "बिना ऑक्सीजन के 4 घंटे तक छोड़ दिया गया था, जिससे उनके मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा।"
फीगर ने कहा कि उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है।
ब्यूचैंप सेरेब्रल पाल्सी (मस्तिष्क पक्षाघात) से पीड़ित हैं और उसके परिवार ने 23 अगस्त को इमरजेंसी मेडिकल सर्विस 911 को कॉल कर बुलाया था क्योंकि उन्हें सांस लेने में गंभीर समस्याएं हो रही थीं। आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियनों और पैरामेडिक्स उनके साउथफील्ड स्थित घर पर पहुंचे।
साउथफील्ड अस्पताल के एक डॉक्टर जिसने ब्यूचैंप को देखा तक नहीं था, उसने अपने फर्स्ट रिस्पॉन्डर (पहले उत्तरदाताओं में से एक) की रिपोर्ट पर उसे मृत घोषित कर दिया। फर्स्ट रिस्पॉन्डर ने डॉक्टर को टेलीफोन पर यह बताया कि मरीज में 30 मिनट से कोई हरकत नहीं है और उसमें जीवन के कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहे हैं।
ब्यूचैंप को इसके एक घंटे बाद तक अस्पताल नहीं ले जाया गया, जब तक कि डेट्रॉयट में कोल फ्यूनरल होम (अंतिम संस्कार गृह) ने 911 को फोन किया। राज्य ने कहा कि अंतिम संस्कार गृह कर्मचारियों ने साउथफील्ड के उनके घर में शव को उठाते समय उसके सीने को हिलते देखा था।
ब्यूचैंप के परिवार ने कहा कि उन्हें चिकित्सा दल द्वारा आश्वासन दिया गया था कि वह मर चुकी है।
फीगर ने अपनी विज्ञप्ति में कहा, "अगर थोड़ी देखभाल की गई होती तो, इन सब से बचा जा सकता था।"
साउथफील्ड फायर चीफ जॉनी मेनिफे ने कहा है कि इसकी जांच हो रही है। उन्होंने अगस्त के आखिर में पत्रकारों से कहा था कि ब्यूचैंप "लाजरस सिंड्रोम" की वजह से जीवित हो गई होगी। "लाजरस सिंड्रोम" का मतलब है कि किसी को फिर से जीवित करने की कोशिशें नाकाम हो जाती हैं तो उसके बाद बिना किसी सहायता के उन्हें जिंदगी मिल जाती है।