रिसर्च में मिला शरीर का एक नया हिस्‍सा, कही जा रही सेंचुरी की सबसे बड़ी खोज

वैज्ञानिकों (Scientists) ने शरीर का एक ऐसा हिस्सा खोज निकाला है

Update: 2021-12-24 08:56 GMT

ज्यूरिक: वैज्ञानिकों (Scientists) ने शरीर का एक ऐसा हिस्सा खोज निकाला है. जिसका जिक्र आज से पहले कभी नहीं हुआ था. यह हिस्सा जबड़े की मास्सेटर मांसपेशियों (Masseter Muscle) की एक गहरी परत के अंदर मिला है. बता दें कि मास्सेटर मांसपेशी ही जबड़े के निचले हिस्से को ऊपर उठाती है और खाने को चबाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. मॉडर्न एनाटॉमी टेक्स्ट बुक में मास्सेटर की दो परतों का उल्लेख है. इसमें एक गहरी और एक सतही परत है.

रिसर्च में मिले चौंकाने वाले परिणाम
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION की रिपोर्ट के अनुसार, इस खोज को साइंस जर्नल एनल्स ऑफ एनटॉमी के ऑनलाइन एडिशन में प्रकाशित किया गया है. वैज्ञानिकों ने बताया कि उनकी टीम ने ऐतिहासिक ग्रंथों में लिखी जबड़े की मांसपेशियों में छिपे अंग को खोजने के लिए अपनी स्टडी शुरू की थी. ऐसा करने के लिए उन्होंने 12 इंसानी शवों को फॉर्मलाडेहाइड में संरक्षित किया. जब वैज्ञानिकों ने बॉडी के सिर का अध्ययन किया तो उन्हें चौंकाने वाले परिणाम मिले. उन्हें प्राचीन ग्रंथों में उल्लेखित जगह से दूर शरीर का एक अलग हिस्सा दिखाई दिया.
Bodies का भी किया CT-Scan
वैज्ञानिकों ने शोध के दौरान 16 ताजा शवों का सीटी स्कैन भी किया और एक जीवित इंसान के एमआरआई स्कैन से तुलना की. इस दौरान उन्हें जबड़े की मांसपेशियों में तीसरी परत दिखाई दी. वैज्ञानिकों ने बताया कि यह गहरी परत जाइगोमैटिक प्रॉसेस से चलती है. यही प्रॉसेस गाल की कोमल हड्डियों का ठोस बनाता है. इसे गाल के पीछे की तरफ महसूस किया जा सकता है. स्विजरलैंड स्थित बेसल विश्वविद्यालय में बायोमेडिसिन विभाग के एक लेक्चरर और रिसर्च पेपर के लेखक स्जिल्विया मेजी (Szilvia Mezey) ने बताया कि मांसपेशियों का यह गहरा हिस्सा पहले से ज्ञात दो परतों से बिल्कुल अलग है.
जबड़े को स्थिर करती है परत
स्जिल्विया मेजी ने कहा कि यह परत निचले जबड़े को स्थिर करने में मदद करती है. यूनिवर्सिटी ऑफ बेसल के सेंटर ऑफ डेंटल मेडिसिन के प्रोफेसर और डॉक्टर जेन्स क्रिस्टोफ टर्प (Jens Christoph Turp) ने कहा कि यह आमतौर पर माना जाता है कि पिछले 100 वर्षों में शारीरिक अनुसंधान (Anatomical Research) ने कोई कसर नहीं छोड़ी गई है, ऐसे में इसे सदी की खोज माना जा सकता है.
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