समुद्र के नीचे खोए हुए 8000 साल पुराने 'भूतों के शहर' की खोज, लोगों के रहने के कई सबूत मिले

पुरातत्वविदों ने इंग्लिश चैनल में खोए हुए 8000 साल पुराने शहर की खोज की है

Update: 2021-11-19 15:37 GMT

पुरातत्वविदों ने इंग्लिश चैनल में खोए हुए 8000 साल पुराने शहर की खोज की है। इन पुरातत्वविदों ने इस शहर को घोस्ट सिटी यानी भूतों का शहर का नाम भी दिया है। इंग्लिश चैनल ब्रिटेन और फ्रांस के बीच का समुद्री हिस्सा है। समुद्र के तल पर इस पुराने शहर के कई अवशेष पाए गए हैं। यह शहर तब बसाया गया था, जब ब्रिटेन की मुख्य भूमि बाकी यूरोपीय देशों से आपस में जुड़ी हुई थी।

गोताखोरी के लिए खतरनाक है इंग्लिश चैनल
इंग्लिश चैनल शुरू से ही गोताखोरी के लिए कुख्यात रहा है। यहां का समुद्र अपने करंट, शक्तिशाली ज्वार और ठंडे पानी के जरिए गोताखोरों का हर कदम पर इम्तिहान लेता है। अनुभवहीन गोताखोरों के लिए यह जगह नहीं बनी है। इसलिए पुरातत्वविदों की टीम ने कई अनुभवी गोताखोरों के साथ समुद्र तल पर इस प्राचीन शहर को ढूंढ निकाला है। इस पूरे इलाके में द्वितीय विश्वयुद्ध के जमाने के ब्रिटिश और जर्मन नौसेना के सैकड़ों जहाज डूबे हुए हैं। जिनके मलबे अक्सर गोताखोरों को परेशान करते रहते हैं।
नेशनल ज्योग्राफिक के अल्बर्ट लिन ने की खोज
नेशनल ज्योग्राफिक के अल्बर्ट लिन ने आइल ऑफ वाइट से कुछ ही दूर समुद्र के नीचे इस प्राचीन शहर की खोज की है। उन्होंने बताया कि यह साइट लगभग 8000 साल पहले की है, जब यूके अभी भी यूरोपी की मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ था। बाद में आसपास के ग्लेशियर पिघलने लगे और उनका पानी निचले इलाके में भरने लगा। इससे पानी ने यूरोप के बाकी हिस्से और यूके के बीच एक चैनल का निर्माण कर दिया।
समुद्र में कैसे समाया था यह शहर
कहा जाता है कि इंग्लिश चैनल का निर्माण अबतक की सबसे बड़ी सुनामी में से एक के जरिए हुआ था। स्टोरगा स्लाइड्स नाम के नार्वे में हुए लैंडस्लाइड ने सुनामी की शुरुआत की थी। इससे नॉर्वेजियन ट्रेंच में एक चारों तरफ से जमीन से घिरे समुद्र ने अपने किनारों को तोड़ दिया। इससे निकले पानी ने प्राचीन ब्रिटेन को तबाह कर दिया। यह पानी ब्रिटेन के जमीनी इलाके में लगभग 40 किलोमीटर अंदर तक घुस आया। दलदलों के निर्माण के बाद यह पूरा इलाका समुद्र में बदल गया। जिससे ब्रिटेन यूरोप की मुख्य भूमि से अलग होकर एक द्वीपीय राष्ट्र बन गया।
1999 में पहली बार इस जगह की हुई थी पहचान
इस साइट की पहचान पहली बार तब हुई जब गोताखोरों ने 1999 में एक नियमित सर्वेक्षण के दौरान एक झींगा मछली को अपने घोसले की सफाई करते हुए देखा। यह मछली अपने घोसले से नक्काशी की गई चकमक पत्थरों के टुकड़े निकाल रही थी। इससे पहली बार यह साबित हुआ कि इस इलाके में कभी बस्ती रही होगी। हालांकि, तब इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी थी।
पुरातत्वविदों के मिले मानव सभ्यता के कई निशान
बाद में पुरातत्वविदों ने समुद्र तल पर लकड़ियों को एक व्यवस्थित क्रम में रखे हुए देखा। जिससे निष्कर्ष निकाला गया कि यह इलाका नावों को खड़ा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता होगा। मैरीटाइम ऑर्कोलॉजिकल ट्रस्ट ने इन संरचनाओं को रिकॉर्ड करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया। उन्होंने लकड़ी की नींव पर टिकी हुई लकड़ी के ही बने एक मंच की खोज की।
भूतिया शहर का दिया गया नाम
2019 की डॉक्यूमेंट्री 'लॉस्ट सिटीज विद अल्बर्ट लिन' के लिए गोता लगाते हुए अल्बर्ट लिन ने कहा कि यहां किसी तरह की संरचना है। यह लकड़ी की परतों जैसा दिखता है। बस गाद से बाहर निकल रहा है। ऐसा लगता है जैसे हम किसी प्राचीन भूतिया शहर में बैठे हैं, लेकिन पानी के भीतर। आप इस रेखा से नीचे उतरते हैं और अंधेरे से प्राचीन अतीत आता है।
Tags:    

Similar News

-->