नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 26 नवंबर 2022 को देश को एक और तोहफा देने जा रहा है. श्रीहरीकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC-SHAR) के लॉन्च पैड वन से पीएसएलवी-एक्सएल (PSLV-XL) रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में ओशनसैट-3 (OceanSat) सैटेलाइट लॉन्च करेगा. इसके साथ आठ नैनो सैटेलाइट्स भी लॉन्च किए जाने की संभावना जताई जा रही है.
पहले इस सैटेलाइट को अगस्त-सितंबर में लॉन्च करने की योजना थी. लेकिन बाद में इसे टाल दिया गया. ओशनसैट सी सरफेस टेंपरेचर (SST) की नाप-जोंख करेगा. इसके अलावा भारतीय समुद्री क्षेत्र के साथ मित्र देशों के समुद्री इलाकों में क्लोरोफिल, फाइटोप्लैंकटॉन, एयरोसोल और प्रदूषण की भी जांच करेगा. यह 1000 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट है. जिसे इसरो अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट-6 (EOS-6) नाम दे रहा है.
इसके साथ चार Astrocast, Thybolt-1 और Thybolt-2, भूटानसैट (BhutanSat aka INS-2B) और आनंद (Anand) सैटेलाइट्स जाएंगे. एस्ट्रोकास्ट एक रिमोट इलाके को कनेक्ट करने वाला सैटेलाइट है. यह छोटी, सस्ती और टिकाऊ तकनीक है सैटेलाइट IoT सर्विस की.
Thybolt सैटेलाइट भारतीय निजी स्पेस कंपनी ध्रुवा स्पेस ने बनाया है. इन्हें लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) में लॉन्च किया जाएगा. भूटानसैट यानी इंडिया-भूटान ज्वाइंट सैटेलाइट है, जो एक टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर है. आनंद निजी कंपनी पिक्सेल की सैटेलाइट है.
ओशनसैट-1 को पहली बास साल 1999 में लॉन्च किया गया था. इसके बाद इसका दूसरा सैटेलाइट 2009 में अंतरिक्ष में स्थापित किया गया था. बीच में ओशनसैट-3 लॉन्च करने के बजाय स्कैटसैट (SCATSAT-1) को भेजा गया था. क्योंकि ओशनसैट-2 बेकार हो चुका था. ओशनसैट के बारे में कहा जाता है कि इसके जरिए समुद्री सीमाओं पर निगरानी भी रखी जा सकती है.
ओशनसैट-3 की तैयारी को लेकर इसरो के साइंटिस्ट कुछ बता नहीं रहे थे. इसलिए उस दौरान स्कैटसैट को लॉन्च किया गया. स्कैटसैट में ऐसी तकनीक लगी थी जो ओशनसैट की कमी को पूरा कर दे रही थी. इन आठों सैटेलाइट्स को PSLV-XL रॉकेट के जरिए लॉन्च पैड एक से लॉन्च किया जाएगा. यह रॉकेट 320 टन वजनी है. इसकी लंबाई 44.4 मीटर और व्यास 2.8 मीटर है. इस रॉकेट में चार स्टेज होते हैं. ये रॉकेट कई सैटेलाइट्स को अलग-अलग ऑर्बिट्स में लॉन्च कर सकता है.