मंगल ग्रह पर उल्कापिंड की टक्कर से 110 किमी चौड़ा क्रेटर बन गया

Update: 2022-12-04 03:11 GMT

मंगल ग्रह को लेकर वैज्ञानिकों की हमेशा से दिलचस्पी रही है। अब वैज्ञानिकों ने एक संभावित एस्टेरॉयड के गिरने से बने क्रेटर को खोज निकाला है। ये एस्टेरॉयड 3.4 अरब साल पहले लाल ग्रह पर गिरा था, जिसके कारण 800 फुट ऊंची मेगा सुनामी आई थी। शोध में पता चला है कि इस एस्टेरॉयड की टक्कर उसी तरह खतरनाक थी, जिसने पृथ्वी पर डायनासौर को खत्म कर दिया था। लगभग 3.5 अरब से 3 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर महासागर थे। नासा के मुताबिक इन महासागरों में कई एस्टेरॉयड गिरे थे, जिसके कारण सुनामी देखने को मिली थी।

पिछले शोध में मंगल की प्राचीन तटरेखा पर कम से कम दो बड़ी सुनामी की घटनाओं के प्रमाण मिले हैं। पानी के जरिए मलबा बह कर बाहर आया और फिर बाद में धीरे-धीरे पानी के साथ वापस समुद्र में चला गया। नासा के मुताबिक पहली घटना 3.4 अरब साल पहले हुई थी और दूसरी लगभग 3 अरब साल पहले हुई थी। यह वह समय था जब मंगल के समुद्र सूखना शुरू हो गए थे। साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में 1 दिसंबर को प्रकाशित एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पोहल (Pohl) नाम के एक नए क्रेटर की पहचान की है।

110 किमी चौड़ा है क्रेटर

ये 110 किमी चौड़ा है। माना जाता है कि उस समय समुद्र तल 120 मीटर ही गहरा था। ये क्रेटर भी 3.4 अरब वर्ष पुरानी चट्टानों से घिरी है। पोहल के आकार को देख कर शोधकर्ताओं का मानना है कि ये एस्टेरॉयड 3-9 किमी बड़ा रहा होगा। इसके गिरने से 1.3 करोड़ मेगाटन TNT ऊर्जा निकली होगी। अगर इसकी तुलना की जाए तो पृथ्वी पर अब तक का सबसे शक्तिशाली परमाणु बम ज़ार बम रहा है जो लगभग 50 मेगाटन टीएनटी ऊर्जा वाला रहा है।

पहले भी हुआ है शोध

इस स्टडी के लिए वैज्ञानिकों ने एक कंप्यूटर सिमुलेशन का इस्तेमाल किया। उन्होंने पाया कि लहरे 820 फीट लगभग 250 मीटर तक हो सकती थीं, और क्रेटर से लगभग 1,500 किमी दूर तक जा सकती थीं। टीम ने एक बयान में कहा, 'ये लहरें इतनी बड़ी रही होंगी कि इनके साथ मलबा भी दूर तक गया होगा।' यह पहली बार नहीं है जब शोधकर्ताओं ने मंगल ग्रह की मेगा-सुनामी के लिए संभावित इंपैक्ट क्रेटर की पहचान की पहचान की है। 2019 में शोधकर्ताओं की एक अलग टीम ने भी इस पर शोध किया था।


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