100 फीट ऊंचा रॉकेट शुक्रवार की शाम कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से उड़ा. इसके साथ ही इसे बनाने वाली स्टार्टअप कंपनी फायरफ्लाई (Firefly) की उम्मीदें भी पर लगाकर आसमान छूने लगीं. प्लान था कि इस रॉकेट को धरती की कक्षा तक पहुंचाया जाए. लॉन्चिंग सफल रही लेकिन कुछ ऊपर जाने के बाद रॉकेट में विस्फोट हो गया. प्रशांत महासागर के ऊपर फायरफ्लाई कंपनी का रॉकेट आग के गोले में बदल गया.
फायरफ्लाई कंपनी का यह रॉकेट लॉन्च सही से हुआ. प्रशांत महासागर के ऊपर तेजी से जा रहा था. जैसे ही इसने सुपरसोनिक गति पकड़ी, यह तेजी से घूमने लगा. यह जमीन की ओर आने लगा. तत्काल अमेरिकी स्पेस फोर्स के अधिकारियों ने फायरफ्लाई को निर्देश दिया कि इस रॉकेट को हवा में ही ध्वस्त कर दें. तुरंत इमरजेंसी एबॉर्ट का आदेश जारी हुआ. मास्टर कंट्रोल सेंटर में बैठे रॉकेट इंजीनियर ने इमरजेंसी एबॉर्ट का बटन दबा दिया. बस फिर क्या था...रॉकेट बम की तरह हवा में फट गया.
जब भी रॉकेट को हवा में बर्बाद किया जाता है, तब उसे इमरजेंसी एबॉर्ट कहते हैं. ताकि रॉकेट जमीन पर आकर जानमान का नुकसान न करे. फायरफ्लाई (Firefly) ऐसा नुकसान झेलने वाली पहली कंपनी नहीं है. कैलिफोर्निया में स्थित स्टार्टअप कंपनी अस्त्र (ASTR) ने पिछले हफ्ते अपना रॉकेट छोड़ा था. 43 फीट ऊंचा रॉकेट हवा में जाने के बाद दाहिनी तरफ घूमा और तेजी से जमीन पर आने लगा. इसे भी अलास्का के तट के पास बर्बाद कर दिया गया.
स्पेसएक्स (SpaceX) यानी एलन मस्क की स्पेस कंपनी ने तो शुरुआती दौर में न जाने ही कितने रॉकेट को बर्बाद होते देखा है. आज भी कई बार उनके स्टारशिप रॉकेट के प्रोटोटाइप विस्फोट कर जाते हैं. लेकिन इसके बावजूद एलन मस्क को उम्मीद है कि इनके रॉकेट से ही इंसान चांद और मंगल की यात्रा करेंगे.
फायरफ्लाई (Firefly) का मुख्यालय टेक्सास के ऑस्टिन में है. कंपनी ने कहा है कि वह अमेरिकी संघीय जांच एजेंसियों के साथ मिलकर यह पता करने की कोशिश कर रहा है कि आखिर गड़बड़ कहां हुई. ताकि हम अगली फ्लाइट में सारी गलतियां सुधार सकें. कंपनी ने ट्विटर पर अपना बयान देते हुए कहा है कि हमने मिशन के सारे मानक हासिल नहीं किए. लेकिन काफी सारे कर भी लिए हैं. हमारा इग्निशन सही था. लिफ्टऑफ सही था. लॉन्चिंग सही थी. सुपरसोनिक स्पीड तक जाने की प्रक्रिया सही थी. हमारे पास फ्लाइट डेटा काफी जमा है.
फायरफ्लाई (Firefly) उन व्यवसायिक रॉकेट कंपनियों में से एक है जो स्पेस इंडस्ट्री में प्रतियोगिता बढ़ा रहे हैं. लेकिन अभी तक किसी भी स्टार्टअप कंपनी ने अंतरिक्ष में अपना रॉकेट सफलतापूर्वक स्थापित नहीं किया है. जबकि, स्पेसएक्स, रॉकेटलैब और वर्जिन ऑर्बिट ही इस काम में सफल हुए हैं. अगर इसी तरह रॉकेट्स विफल होते रहे तो स्टार्टअप कंपनियों को आर्थिक रूप से बड़ा झटका लग सकता है. जिससे उनके बंद होने के आसार भी बनते हैं.
फायरफ्लाई (Firefly) एक बार 2017 में दिवालिया हो चुकी है. बाद में उसे कुछ फाइनेंसर मिले जिन्होंने निवेश करके कंपनी को वापस खड़ा किया है. डेटा फर्म पिचबुक के अनुसार फायरफ्लाई (Firefly) कंपनी का बाजार मूल्य फिलहाल 1 बिलियन डॉलर यानी 7299 करोड़ रुपये हैं. अगर इसका रॉकेट सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित हो जाता तो यह अमेरिका की तीसरी व्यवसायिक कंपनी बन जाती जो यह उपलब्धि हासिल करती. इसके अलावा न्यूजीलैंड की कंपनी रॉकेटलैब और रिचर्ड ब्रैनसन की कंपनी वर्जिन ऑर्बिट ने ही यह सफलता हासिल की है.
इस समय दर्जनों ऐसी व्यवसायिक रॉकेट कंपनियां हैं जो सस्ते और हल्के रॉकेट बनाने में जुटी हुई हैं जो धरती की कक्षा में यात्रा करना चाहती है. लोगों को यात्रा कराना चाहती हैं. इस काम में अब तक सिर्फ स्पेसएक्स को ही सफलता मिली है. जिसने अमेरिकी टेलिकॉम और सुरक्षा संबंधी सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित किया है. साथ ही स्पेस स्टेशन तक अंतरिक्ष यात्रियों को अपने ड्रैगन कैप्सूल के जरिए पहुंचाया और वापस लेकर आया है.
फायरफ्लाई (Firefly) और अन्य कंपनियों को अभी तक इस सफलता का स्वाद चखने को नहीं मिला है. हालांकि ये कंपनियां लगातार स्पेस इंडस्ट्री में अपना मुकाम हासिल करने का प्रयास कर रही हैं. वैज्ञानिकों का अंदाजा है कि भविष्य में कई कंपनियां स्पेस इंडस्ट्री में उभरकर सामने आएंगी.
अंतरिक्ष में व्यवसाय के कई तरीके बन सकते हैं. सैटेलाइट लॉन्च से लेकर अंतरिक्षयात्रियों को स्पेस स्टेशन और ग्रहों तक पहुंचाने का काम. इसके अलावा साधारण लोगों को अंतरिक्ष की यात्रा कराने का काम जैसा कि हाल ही में जेफ बेजोस और रिचर्ड ब्रैनसन की कंपनी ने किया है. वो लोगों को अंतरिक्ष के दरवाजे तक ले जाते हैं और उसके बाद उन्हें वापस धरती पर ले आते हैं. ये अपने सीट्स का किराया लोगों से लेते हैं.