पितर पक्ष में आप इन मुहूर्तों में कर सकते हैं खरीदारी

हिंदी पंचांग के अश्विन मास का कृष्ण पक्ष पूरी तरह से पितरों के लिए समर्पित होता है। इसलिए ही इस पक्ष को पितर पक्ष या पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है।

Update: 2021-09-27 03:27 GMT

हिंदी पंचांग के अश्विन मास का कृष्ण पक्ष पूरी तरह से पितरों के लिए समर्पित होता है। इसलिए ही इस पक्ष को पितर पक्ष या पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है। इस माह में मृत पूर्वजों या पितरों के निमित्त श्राद्ध करने का विधान है। इस काल में कोई भी शुभ कार्य करना या सोना आदि खरीदना निषेध माना जाता है। इस साल पितृ पक्ष 21 सितंबर से शुरू होकर 06 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन समाप्त होगा। लेकिन ज्योतिषाचार्यों के अनुसार पितृ पक्ष में भी कुछ विशेष तिथियां और मुहूर्त हो हैं जिनमें खरीदारी करना अशुभ नहीं माना जाता है। आइए जानते हैं उन तिथियों और मुहूर्त के बारे में।

पितृ पक्ष में खरीदारी करने के मुहूर्त
पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करने का विधान है। इस पक्ष में कोई भी शुभ कार्य जैसे मुण्डन, शादी-विवाह आदि नहीं किए जाते हैं। इसके साथ ही इस काल में खरीदारी करना भी शुभ नहीं माना जाता है। लेकिन पितर पक्ष की अष्टमी तिथि पर गजलक्ष्मी अष्टमी का व्रत रखने का विधान है। इस दिन खरीदारी करना शुभ माना जाता है, मान्यता है कि इस दिन सोना खरीदने से उसमें आठ गुने की वृद्धि होती है। इसके अलावा 26 और 27 सितंबर को रवि योग तथा 27, 30 सितंबर और 6 अक्‍टूबर को सर्वार्थ सिद्धि योग और 1 अक्‍टूबर को गुरु पुष्‍य योग में भी खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है
हालांकि पितर पक्ष में मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करने का विधान है। माना जाता है इस काल में पितर धरती पर अपने परिजनों से मिलने आते हैं। इसलिए इस काल में दान-पुण्य करना ही शुभ माना जाता है। हालांकि पितर अपनी संतति के सुखमय जीवन से नाराज नहीं होते हैं लेकिन इस काल में सादा जीवन जीना ही उचित माना जाता है।

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