कामदेव के व्रत रखने से योग्य संतान की होती है प्राप्ति

चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मदन द्वादशी का व्रत रखा जाता है।

Update: 2022-04-12 10:55 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |  चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मदन द्वादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत में कामदेव की पूजा करने की परंपरा है। कामदेव का एक नाम मदन भी है। मदन द्वादशी व्रत, कामदा एकादशी के अगले दिन रखा जाता है। इस व्रत को रखने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है और दुख दूर होते हैं। यह व्रत लगातार 13 द्वादशी तक रखा जाता है।

जब देवताओं के हाथों राक्षस वंश का सर्वनाश हो गया तो उनकी माता दिति बहुत दुखी थीं, तब उन्होंने ऋषि मुनियों के कहने पर मदन द्वादशी का व्रत रखा था। इस व्रत के प्रभाव से पुत्रों की मृत्यु का दुख उनके मन से खत्म हो गया और उनको पुत्र की प्राप्ति हुई। मदन द्वादशी व्रत में सिर्फ एक फल खाकर भूमि पर शयन करना चाहिए। इस व्रत में गोदान एवं वस्त्र दान का विशेष महत्व है। इस व्रत में तिल से होम किया जाता है और ताम्रपात्र की पूजा की जाती है। नैवेद्य के रूप में ताम्रपात्र में गुड़ से बना हुआ मिष्ठान भगवान को अर्पित किया जाता है और कलश में फलों के साथ जल भरकर पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्रती को सभी पापों से मुक्ति प्राप्त होती है और सुख, शांति, ऐश्वर्य और पुत्र एवं धन की प्राप्ति होती है। इस व्रत में रात्रि जागरण का अत्‍यंत महत्व है। 13 द्वादशी के बाद इसी दिन इस व्रत के अनुष्ठान से भक्‍त के सारे मनोरथ सफल हो जाते हैं।


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