अजा एकादशी पर इस विधि से करें पूजा, भगवान विष्णु की आप पर होगी विशेष कृपा

आज भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे अजा एकादशी के नाम से जानते हैं।

Update: 2021-09-03 04:02 GMT

आज भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे अजा एकादशी के नाम से जानते हैं। अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने की परंपरा है। पूजा के समय अजा एकादशी व्रत का पाठ करना आवश्यक होता है। व्रत कथा के पाठ से व्रत का पूर्ण फल मिलता है। अजा एकादशी व्रत करने और भगवान विष्णु की सच्चे मन से प्रार्थना करने से एक अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। जागरण अध्यात्म में जानते हैं अजा एकादशी व्रत एवं पूजा विधि के बारे में।

अजा एकादशी 2021 व्रत एवं पूजा विधि
आज प्रात: स्नान आदि से निवृत होने के बाद साफ कपड़े पहनें। फिर हाथ में जल, पुष्प और अक्षत् लेकर अजा एकादशी व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प करें। इसके बाद पूजा स्थान पर एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर उनका अभिषेक करें। पीले पुष्प, अक्षत्, चंदन, धूप, दीप, फल, गंध, मिठाई आदि अर्पित करते हुए श्रीहरि की पूजा करें। पंचामृत और तुलसी का पत्ता जरूर चढ़ाएं।
अब आप भगवान विष्णु को ध्यान करके अजा एकादशी व्रत कथा पढ़ें या उसका श्रवण करें। राजा हरिश्चंद्र ने अजा एकादशी व्रत किया था, तो उनके सभी पाप मिट गए थे और परिवार तथा राजपाट पुन: मिल गया था। अजा एकादशी व्रत कथा के बाद भगवान विष्णु की आरती करें। आरती से पूजा पूर्ण होती है। इसके बाद प्रसाद का वितरण कर दें।
व्रत रहने के दौरान आपको फलाहार करना होता है। अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करके अजा एकादशी व्रत को पूरा करते हैं। पारण के बिना व्रत को पूर्ण नहीं माना जाता है।
एकादशी व्रत में ध्यान देने वाली बातें:
1. व्रत रहते हुए चावल का सेवन न करें।
2. व्रत से पहले वाली रात को मसूर की दाल न खाएं।
3. चने और पत्तेदार साग आदि भी वर्जित होता है।
4. इस दिन शहद का सेवन भी वर्जित होता है।
5. व्रत से पूर्व रात्रि को मांस-मदिरा आदि का सेवन न करें।
6. झूठ न बोलें, घृणा न करें। मन, कर्म और वचन से शुद्ध रहें।


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