सनातन धर्म में माता सीता को लक्ष्मी का रूप माना गया है। इनकी आराधना व पूजा से धन की कमी दूर हो जाती है साथ ही साथ वैवाहिक जीवन में भी खुशियां आती है। धार्मिक पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर सीता नवमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
मान्यता है कि इसी शुभ दिन पर माता सीता का जन्म हुआ था। इसलिए इसे सीता जयंती, सीता नवमी और जानकी नवमी के नाम से जाना जाता है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा सीता नवमी पर माता सीता की पूजन विधि बता रहे हैं तो आइए जानते है।
सीता नवमी पूजन विधि—
आपको बता दें कि सीता नवमी के शुभ दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर व्रत पूजन का संकल्प करें। अब पूजन स्थल की अच्छी तरह से साफ सफाई करके गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद मां सीता की पूजा आरंभ करें। इस दिन माता सीता के संग भगवान श्रीराम की पूजा करें माता को श्रृंगार की सभी सामग्री अर्पित करें साथ ही गंध, पुष्प, धूप, दीपक और मिष्ठान आदि चढ़ाएं।
इस दिन तिल का तेल या गाय के घी का दीपक जलाना उत्तम माना जाता है। माता सीता को लाल पुष्प बेहद प्रिय है ऐसे में इस दिन देवी मां को लाल रंग के पुष्प चढ़ाएं। इसके बाद भोग लगाकर देवी मां की आरती पढ़ें। इस दिन सीता चालीसा का पाठ करना भी उत्तम होता है। पूजन के अंत में माता से अपनी प्रार्थना कहें। मान्यता है कि इस विधि से पूजा करने से साधक को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।