माता महागौरी का पूजन अष्टमी के दिन इस तरह करें, जानें महत्व

Shardiya Navratri Mahagauri Puja Vidhi - 13 अक्टूबर को नवरात्रि का आठवां दिन है. इस दिन मातारानी के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है. यहां जानिए महागौरी के विधिवत पूजन का तरीका और इसके महत्व के बारे में.

Update: 2021-10-12 04:28 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 13 अक्टूबर बुधवार को शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन है. नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है. जो लोग पूरी नवरात्रि व्रत नहीं रख पाते, वे अष्टमी के दिन व्रत रखकर माता महागौरी का पूजन करते हैं. महागौरी के पूजन के लिए सुबह से ही मंदिरों में भीड़ लग जाती है.

मां महागौरी को हलवा और पूड़ी बहुत पसंद है, इसलिए इस दिन ज्यादातर घरोंं में हलवा-पूड़ी और काले चने प्रसाद के तौर पर बनाए जाते हैं. इसके अलावा माता को नारियल का भोग भी लगाया जाता है. यदि आप भी नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक मातारानी के व्रत नहीं रख सके हैं तो अष्टमी के दिन माता की विशेष पूजा करके उनका आशीर्वाद ले सकते हैं. जानिए पूजा विधि और महागौरी के पूजन का महत्व.
इस तरह करें पूजन
सबसे पहले पूजा के स्थान को गंगाजल से पवित्र करें. जमीन पर चौक बनाकर फिर चौकी या पाटा रखें. उस पर एक लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मातारानी की तस्वीर रखें. चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह भी रखें. इस दिन माता की तस्वीर के समक्ष ​मिट्टी के गौर जरूर रखने चाहिए. मिट्टी के गौर को माता पार्वती का महागौरी स्वरूप माना जाता है. इसके बाद गणपति का पूजन करें और मातारानी और महागौरी का प्रतीक गौर को सात बार सिंदूर अर्पित करें और सुहागिन महिलाएं इस सिंदूर को मां को अर्पित करने के बाद अपनी मांग में भी लगाएं. इसके बाद धूप, दीप, अक्षत, पुष्प आदि अर्पित करें. आप चाहें तो सुहाग का सामान भी माता को अर्पित कर सकती हैं. इसके बाद हलवा, चना और पूड़ी का प्रसाद अर्पित करें. फिर मां महागौरी की सप्तशती मंत्रों से पूजा करनी चाहिए. नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना भी शुभ माना जाता है.
पूजन के बाद दें अज्ञारी
पूजन के दौरान एक कंडे यानी उपले को जलाकर सात, ग्यारह, इक्कीस या एक सौ आठ बार अपनी श्रद्धा के अनुसार माता का मंत्र पढ़कर हवन सामग्री से अज्ञारी दें. अज्ञारी देने से पहले हवन सामग्री में अनाज, घी, बताशा, कपूर आदि मिला लें. इससे माता तो प्रसन्न होती ही हैं, साथ ही घर की नकारात्मकता भी दूर होती है. आखिर में माता की आरती गाएं और उनसे पूजा के दौरान हुई भूल की क्षमा याचना करें.
महागौरी के पूजन का महत्व
महागौरी का पूजन करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पति को दीर्घायु प्राप्त होती है. वहीं कुंवारी कन्याओं को मनभावन पति मिलता है. माना जाता है कि जो लोग माता महागौरी का विधि विधान से पूजन करते हैं, उनके घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है.
अष्टमी के दिन भी कर सकते हैं कन्या पूजन
आमतौर पर लोग नवरात्र में नवमी के दिन कन्या पूजन के तौर पर नौ कन्याओं को घर पर बुलाकर भोजन आदि करवाते हैं और दक्षिणा देकर ससम्मान विदा करते हैं. लेकिन आप अष्टमी के दिन भी कन्या पूजन कर सकते हैं. इसे भी श्रेष्ठ माना जाता है. कन्या पूजन में ध्यान रखें कि कन्या दो वर्ष से लेकर दस साल तक की होनी चाहिए.


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