इस तरह करें विष्णु जी की पूजा-अर्चना...हर मनोकामना होगा पूरा

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है।

Update: 2020-12-11 04:27 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्कमार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस दिन को वर्ष के सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। आज उत्पन्ना एकादशी है। इस दिन देवी एकादशी और विष्णु जी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन का व्रत करता है उसे स्वर्ग प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को उसके समस्त पापों से मुक्ति भी मिल जाती है। आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी की पूजा कैसे की जाती है।

इस तरह करें उत्पन्ना एकादशी की पूजा:

इस दिन जो व्यक्ति व्रत करना चाहता है उसे दशमी तिथि से ही उपवास करना चाहिए।

इसके बाद एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए। फिर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहन लें।

फिर एक छोटा पटरा लें या फिर जमीन पर ही लाल कपड़ा बिछाकर बैठ जाएं।

इसके बाद आसन पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखें। विष्णु जी की मूर्ति या तस्वीर पर गंगा जल की छीटें दें। फिर धूप, दीप आदि करें।

भगवान विष्णु को पीले फूल और फल अर्पित करें।

इसके बाद भगवान के सामने घी का दीपक जलाएं। फिर भगवान की आरती करें।

इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना श्रेष्ठ होता है।

इस दिन यानी एकादशी के दिन, दिनभर भगवान के भजन और कीर्तन करने चाहिए।

फिर शाम को दीपदान करने के बाद फल ग्रहण करें। इस दिन दान का भी महत्व बहुत होता है।

फिर अगले दिन सुबह यानि द्वादशी तिथि के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।


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