कालाष्टमी पर इस तरह करें भगवान कालभैरव की पूजा ...आप पर बनी रहेगी विशेष कृपा

हर मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है।

Update: 2021-04-04 03:07 GMT

हर मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। आज चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है और आज के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप कालभैरव की पूजा की जाती है। आज के दिन भगवान काल भैरव के भक्त उनका व्रत करते हैं। शिवपुराण के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए हर मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इसे काल भैरवाष्टमी या भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कालभैरव की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। जो व्यक्ति इनकी श्रद्धापूर्वक पूजा करता है उसे शिव जी का आशीर्वाद जल्द ही प्राप्त हो जाता है। तो आइए जानते हैं कैसे करें कालाष्टमी का व्रत और पूजा।

कालाष्टमी की पूजा विधि:
इसके बाद हर तरफ गंगाजल छिड़क लें। फिर भगवान को फूलों की माला या फूल अर्पित करें।
फिर कालभैरव को नारियल, इमरती, पान, मदिरा, गेरुआ आदि अर्पित करें।
फिर चौमुखी दीपक जलाएं। फिर धूप-दीप कर भगवान को कुमकुम या हल्दी का तिलक लगाएं।
इसके बाद कालभैरव, भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें। इसके बाद शिव चालिसा और भैरव चालिसा का पाठ भी करें।
फिर बटुक भैरव पंजर कवच का पाठ करें। भैरव मंत्रों का भी 108 बार जाप करें।
फिर कालभैरव की उपासना करें।
व्रत पूरा होने के बाद काले कुत्ते को कच्चा दूध या मीठी रोटी खिलाएं।
रात के समय काल भैरव की सरसों के तेल, उड़द, दीपक, काले तिल आदि से पूजा करें। फिर रात जागरण करें।

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