हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का पावन पर्व बेहद ही खास माना गया हैं जो देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं। धार्मिक पंचांग के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि पर मनाई जाती हैं। मान्यता है कि इसी पावन दिन पर भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। जिसे देशभर में कृष्ण जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाता हैं।
इस दिन प्रभु के बाल स्वरूप की पूजा की जाती हैं। भक्त जन्माष्टमी पर बाल गोपाल की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं ऐसा करने से प्रभु की कृपा सदा बनी रहती है और कष्टों में भी कमी आती हैं तो आज हम आपको कान्हा की पूजा की उत्तम विधि बता रहे हैं।
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन दिन पर सुबह उठकर व्रत का आरंभ किया जाता हैं और पूजन के बाद या फिर अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता हैं। इस व्रत को करने वाले व्रती को एक दिन पहले हल्का और सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन करें व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान आदि करके व्रत का संकल्प करें। शाम के वक्त पूजन स्थल की अच्छी तरह साफ सफाई करके झांकी तैयार करें।
देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएं। बाल गोपाल को झूले पर स्थापित करें। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और माता लक्ष्मी इन सब की विधि विधान से पूजा करें इसके बाद कान्हा का श्रृंगार करें। रात को बारह बजे शंख और घंटी बजाकर कान्हा का जन्म करांएं और खीरा जरूर काटें। इसके बाद कान्हा को भोग अर्पित कर चालीसा का पाठ करें और अंत में भगवान की आरती करें।