हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन कालाष्टमी का व्रत बेहद ही खास माना जाता हैं जो भोलेनाथ के रौद्र स्वरूप बाबा कालभैरव की पूजा को समर्पित होता हैं। धार्मिक पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन कालाष्टमी का व्रत पूजन किया जाता हैं अभी ज्येष्ठ का पावन महीना चल रहा हैं और इस महीने की कालाष्टमी का व्रत 12 मई दिन शुक्रवार यानी की आज किया जा रहा हैं।
इस दिन भक्त भगवान कालभैरव की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि इस दिन भैरव आराधना करने से साधक के सभी कष्टों का निवारण हो जाता हैं। कालभैरव की पूजा संध्याकाल में करना भी उत्तम माना जाता हैं। तो आज हम आपको पूनज की विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
पूजन की विधि—
भगवान काल भैरव की पूजा के लिए स्नान आदि करके साफ हो जाएं। फिर घर में या फिर भैरव मंदिर जाकर भगवान की विधिवत पूजा करें इस दिन शिव के साथ माता पार्वती और श्री गणेश की विधिवत पूजा की जाती हैं। भैरव बाबा का ध्यान करते हुए प्रभु के समक्ष धूप दीपक जलाएं भगवान को मीठे फलों का भोग लगाएं इसके बाद प्रभु की विधिवत कथा पढ़ें। सभी पूजन सामग्री को भगवान को अर्पित करें अंत में भूलचूक के लिए क्षमा मागें। इसके बाद भगवान की आरती पढ़ें। मान्यता है कि इस विधि से पूजा करने से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं और कृपा बरसाते हैं।
मुहूर्त और तिथि—
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आज यानी 12 मई को सुबह 9 बजकर 6 मिनट से आरंभ होर चुकी है और इसका समापन कल यानी 13 मई को सुबह 6 बजकर 50 मिनट पर होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रात्रि में कालभैरव की पूजा करना शुभ माना जाता हैं।