करवाचौथ के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं यदि लाल रंग के कपड़े पहनती हैं तो उन्हें जिंदगी भर पति का प्यार मिलेगा
करवाचौथ के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं यदि लाल रंग के कपड़े पहनती हैं तो उन्हें जिंदगी भर पति का प्यार मिलेगा।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | करवाचौथ के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं यदि लाल रंग के कपड़े पहनती हैं तो उन्हें जिंदगी भर पति का प्यार मिलेगा। माना जाता है कि लाल रंग गर्मजोशी का प्रतीक है और मनोबल भी बढ़ाता है। साथ ही लाल रंग प्यार का प्रतीक भी माना जाता है। लाल रंग में महिलाएं अधिक सुंदर और आकर्षित दिखती हैं एवं सबके आकर्षण का केंद्र बिंदू बनती हैं। नीले, भूरे और काले रंग के कपड़े न पहनें, क्योंकि ये अशुभता के प्रतीक हैं।
कैसे मनाते हैं करवा चौथ का त्योहार:
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि करवा चौथ की तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती हैं। सुहागिन महिलाएं कपड़े, गहने, श्रृगार का सामान और पूजा सामग्री खरीदती हैं। करवा चौथ वाले दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाती हैं। इसके बाद सुबह हाथ और पैरों पर मेहंदी लगाई जाती है और पूजा की थालियों को सजाया जाता है। व्रत करने वाली आस-पड़ोस की महिलाएं शाम ढलने से पहले किसी मंदिर, घर या बगीचे में इकट्ठा होती हैं। यहां सभी महिलाएं एक साथ करवा चौथ की पूजा करती हैं। इस दौरान गोबर और पीली मिट्टी से पार्वती जी की प्रतिमा स्थापित की जाती है। आज कल माता गौरी की पहले से तैयार प्रतिमा को भी रख दिया जाता है।
विधि-विधान से पूजा करने के बाद सभी महिलाएं किसी बुजुर्ग महिला से करवा चौथ की कथा सुनती हैं। इस दौरान सभी महिलाएं लाल जोड़े में पूरे सोलह श्रृंगार के साथ पूजा करती हैं। चंद्रमा के उदय पर अर्घ्य दिया जाता है और पति की आरती उतारी जाती है। पति के हाथों पानी पीकर महिलाओं के उपवास का समापन हो जाता है।
भारत देश में वैसे तो चौथ माता जी के मंदिर कई जगह है। लेकिन सबसे प्राचीन एवं सबसे अधिक ख्याति प्राप्त मंदिर राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा गांव में स्थित है। चौथ माता के नाम पर इस गाँव का नाम बरवाड़ा से चौथ का बरवाड़ा पड़ गया। चौथ माता मंदिर की स्थापना महाराजा भीमसिंह चौहान ने की थी।