सकट चौथ पर महिलाएं व्रत के दौरान भूलकर भी न करें ये काम

जल्द ही संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाने वाला व्रत सकट चौथ का त्योहार मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सकट चौथ का व्रत रखा जा जाता है।

Update: 2022-01-19 01:47 GMT

जल्द ही संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाने वाला व्रत सकट चौथ का त्योहार मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सकट चौथ का व्रत रखा जा जाता है। इस बार यह व्रत 21 जनवरी को है। सकट व्रत को संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट और माघी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार ज्यादातर उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस व्रत में महिलाएं सुबह से व्रत रखते हुए शाम के समय भगवान गणेश की पूजा करती है फिर उसके बाद चंद्रमा के दर्शन कर अर्घ्य देते हुए व्रत का पारण करती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से संतान के ऊपर आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं और कष्ट भगवान गणेश दूर कर देते हैं। सकट व्रत के दौरान मांगी जाने वाली सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती है। लेकिन सकट चतुर्थी का व्रत रखते हुए महिलाएं को कुछ विशेष सावधानी रखनी चाहिए। आइए जानते है कौन-कौन सी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

हिंदू धर्म में किसी भी तरह का शुभ कार्य या धार्मिक अनुष्ठान करते समय काले रंग के कपड़े पहनना वर्जित माना गया है। ऐसे में 21 जनवरी को सकट व्रत करते समय महिलाएं भूलकर भी काले रंग के कपड़े न पहनें। सकट व्रत की पूजा के दौरान माताएं पीले या लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ रहेगा।

सकट चौथ का व्रत और पूजा-उपासना में भगवान गणेश की पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा होती है। ऐसे में जल में चावल और दूध मिलाकर ही चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। साथ ही एक बात का विशेष ध्यान रखें कि जब आप चंद्रमा को अर्घ्य दे तो आपके पैरों में जल के छींटे न पड़ें

सकट व्रत तभी पूरा होता है जब भगवान गणेश की पूजा करने के बाद चांद के दर्शन करते हुए उन्हें अर्घ्य दिया जाए। ऐसे में भूलकर भी बिना चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किए व्रत नहीं खोलना चाहिए।

सकट चौथ में भगवान गणेश की पूजा करने के लिए कभी भी तुलसी के पत्तों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। भगवान गणेश दूर्वा घास बहुत ही प्रिय होती है ऐसे में उनकी कृपा पाने के लिए सकट चौथ पर उन्हें दूर्वा घास अवश्य ही अर्पित करें।


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