Nag Panchami पर क्यों सर्प को पिलाया जाता है दूध ! जाने इसके पीछे का पौराणिक कथा और वैज्ञानिक रूप

सनातन धर्म में नाग को पूज्यनीय माना जाता है

Update: 2021-08-04 14:24 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| सनातन धर्म में नाग को पूज्यनीय माना जाता है. महादेव सर्प को गले में धारण करते हैं तो वहीं भगवान विष्णु शेषनाग पर ही शयन करते हैं. इसलिए हिंदू धर्म में नाग पंचमी का दिन नागों की पूजा के लिए समर्पित किया गया है. हर साल सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है.

नाग पंचमी के दिन सर्प की पूजा करने के साथ उन्हें दूध पिलाने का चलन है. मान्यता है कि ​इस दिन नाग देवता की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और वे उस परिवार को कभी कोई हानि नहीं पहुंचाते. इस बार नाग पंचमी 13 अगस्त को मनाई जाएगी. इस मौके पर जानिए नाग पंचमी के दिन सर्प को दूध क्यों पिलाया जाता है? क्या है इसके पीछे की मान्यता और नाग पंचमी की पूजा विधि.

ये है पौराणिक कथा

नागों को दूध पिलाने की परंपरा का संबन्ध पांडवों के वंशज और कलयुग के प्रथम राजा परीक्षित के प्रसंग से जोड़ा जाता है. राजा परीक्षित की मृत्‍यु तक्षक सांप के काटने से हुई थी. पिता की मृत्यु के बाद परीक्षित के पुत्र जन्‍मेजय ने ये संकल्‍प लिया कि वह धरती से सभी सर्पों को समाप्त कर देंगे. इसके लिए उन्होंने एक यज्ञ का आयोजन किया. यज्ञ के प्रभाव से संसार के सारे सर्प आकर यज्ञ कुंड में गिरने लगे.

घबराकर तक्षक नाग अपनी जान बचाने के लिए इंद्र देव के सिंहासन में जाकर छिप गया. इसलिए यज्ञ के प्रभाव से इंद्र का सिंहासन हवनकुंड की ओर खिंचने लगा. तब ऋषियों और देवताओं ने राजा जन्मजेय से अनुरोध किया कि यदि वे दुनियाभर के सर्पों को समाप्त कर देंगे तो प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा. राजा जन्‍मेजय ने देवताओं के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और तक्षक को क्षमा कर दिया. इसके बाद यज्ञ कुंड में जले नागों को ठीक करने के लिए आस्तिक मुनि ने उन्हें गाय के दूध से स्नान कराया. इससे नागों की जलन शांत हुई.

ऐसे शुरू हुई दूध पिलाने की परंपरा

जिस दिन सर्पों को आस्तिक मुनि ने गाय के दूध से स्नान कराया, उस दिन सावन मास की पंचमी थी. तब से सावन मास की पंचमी के दिन को सांपों को समर्पित कर दिया गया. साथ ही सांप को दूध से स्नान कराने की परंपरा शुरू हुई. इस दिन सांप की पूजा करके उनके संरक्षण का संदेश दिया जाता है. शास्त्रों में भी सर्प को दूध से स्नान कराने की बात कही गई है, लेकिन लोगों ने स्नान कराने की बजाय सर्प को दूध पिलाने की परंपरा शुरू कर दी.

वैज्ञानिक रूप से गलत है सर्प को दूध पिलाना

वैज्ञानिक रूप से सर्प को दूध पिलाना गलत माना जाता है. इससे उनका जीवन खतरे में पड़ सकता है. दरअसल सर्प एक रेप्टाइल जीव होता है और रेप्टाइल जीव दूध को हजम नहीं कर सकते. दूध पीने से उनकी आंत में इंफेक्शन हो जाता है और उनकी मौत हो सकती है.

ऐसे करें पूजा

नाग पंचमी के दिन घर के मुख्यद्वार के दोनों ओर गोबर से नाग बनाएं, या फिर आटे या मिट्टी के नाग बनाएं. धूप, दीप, कच्चा दूध आदि से नाग देवता की पूजा करें. गेंहू, भूने हुए चने और खीर का प्रसाद नागों को चढ़ाएं. इसके बाद प्रसाद बाकी लोगों को बांटें.

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