भाई दूज के दिन क्यों बहन भाई को देती हैं नारियल का गोला

Update: 2022-10-26 05:41 GMT

भाई दूज का त्योहार रक्षाबंधन की तरह बड़ा महत्व रखता है। यह त्योहार भाई और बहनों के अनोखे रिश्ते को मजबूत करता है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं, उनकी कलाई पर मौली बांधती हैं और फिर नारियल का गोला देती हैं। साथ ही बहन भाई के अच्छे स्वास्थ्य, लंबी उम्र और समृद्धि की कामना भी करती है। भाई भी अपनी बहन को हर बुराई से बचाने का वादा करते हैं। इस त्योहार को देश भर में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। इसे पश्चिम बंगाल में भाई फोटा, महाराष्ट्र में भाऊ बीज, बिहार/झारखंड में गोधन कुटाई और दक्षिण भारत में यम द्वितीया के रूप में जाना जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भाई दूज के दिन अगर भाई यमुना नदी में स्नान करते हैं, तो उन्हें यमराज के प्रकोप से मुक्ति भी मिलती है। वहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भाई यमराज ने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया था, जिसके बाद से कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज मनाया जाने लगा। तो आइए इस मौके पर जानें कि भाई दूज के दिन बहन भाई को नारियल का गोला क्यों देती हैं?

भाई यम और बहन यमुना से संबंधित है यह रोचक किस्सा

पौराणिक कथाओं की मानें तो, यम यानी यमराज और उनकी बहन यमुना, भगवान सूर्य और छाया के संतान थे। दोनों भाई-बहन में बहुत प्यार था। हालांकि, यमराज अपने काम में इतने व्यस्त रहते थे कि उनको यमुना के पास जाने का समय ही नहीं मिलता था। लंबे समय तक जब यम नहीं मिले, तो बहन यमुना नाराज़ हो गईं। एक दिन भाई यमराज अचानक अपनी बहन यमुना से मिलने पहुंच गए। भाई को सामने देख यमुना बेहद खुश हो गईं। उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया थी।

यमुना ने भाई यम का खूब सत्कार किया, उनको विदा के समय एक नारियल भेंट किया। जब यम ने पूछा कि नारियल क्यों? तो यमुना ने कहा कि यह नारियल आपको मेरी याद दिलाता रहेगा।

इसके बाद यमुना ने अपने भाई से वचन लिया कि चाहे वे कितने भी व्यस्त क्यों न हो, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यानी भैया दूज को मिलने अवश्य आएंगे। यमराज ने बहन को आश्वासन दिया। माना जाता है कि तभी से भाई दूज के दिन भाई अपनी विवाहित बहन के घर टीका कराने जाते हैं और बहन अपने भाई को नारियल का गोला भेंट में देती है।


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