नवरात्रि में प्याज और लहसुन क्यों नहीं खाना चाहिए, ज्योतिष एक्सपर्ट से जानें
क्यों नहीं खाना चाहिए, ज्योतिष एक्सपर्ट से जानें
हिंदू पंचांग के हिसाब से इस साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ दिनांक 15 अक्टूबर से होने जा रहा है और इसका समापन दिनांक 24 अक्टूबर को होगा। नवरात्रि के इन पूरे नौ दिनों में मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
इस दौरान मंदिरों में और सभी घरों में कलश स्थापना के साथ माता रानी की उपासना की जाएगी। इस दौरान भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं, तो कुछ भक्त पहला और आखिरी जिन व्रत रखते हैं। जो लोग व्रत नहीं रख रहें हैं, उन्हें भी नवरात्रि में सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
नवरात्रि के इस पावन दिन में लहसून और प्याज का सेवन करने से बचना चाहिए। शास्त्रों में लहसून और प्याज को वर्जित माना गया है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि नवरात्रि में लहसून और प्याज खाना क्यों वर्जित है।
लहसून और प्याज से अज्ञानता में होता है वृद्धि
नवरात्रि के नौ दिनों में लहसून और प्याज खाना वर्जित माना गया है, क्योंकि इसे तामसिक भोज के पदार्थ में माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसे खाने से व्यक्ति के जीवन में अज्ञानता और वासना में वृद्धि होती है और उसका मन भटकता है। साथ ही छल-कपट की स्थिति पैदा होने लग जाती है।
लहसून और प्याज शुभ कार्य के लिए हैं वर्जित
लहसून और प्याज जमीन के नीचे उगते हैं, इनकी साफ-सफाई में कई जीवों की मृत्यु हो जाती है। इसलिए व्रत और शुभ कार्य में लहसून और प्याज को बहुत़ अशुभ माना गया है।
जानें भगवान को लहसून और प्याज क्यों नहीं लगाया जाता है भोग
पौराणिक कथा के अनुसार लहसून और प्याज के पीछे एक प्रचलित कथा है। कथा के अनुसारद , ऐसा कहा जाता है कि स्वरभानु नाम का एक दैत्य था। जिसने समुद्र मंथन के बाद सभी देवताओं के बीच बैठकर अमृत पान कर लिया था। जब ये बात मोहिनी रूप धारण किए हुए भगवान विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र)को पता चली, तो उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया।
तभी से स्वरभानु के सिर और धड़ को राहु और केतु कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सिर काटने के बाद स्वरभानु के सिर और धड़ से खून की बूंद धरती पर गिरी। जिससे लहसून और प्याज की उत्पत्ति हुई, हालांकि रोग-दोष को दूर करने के लिए ये दोनों बेहद कारगर साबित होते हैं। परंतु इनकी उत्पत्ति राक्षस के मुंह से हुई है। इसलिए इसे बेहज अपवित्र माना गया है। इसी कारण भगवान की पूजा में लहसून और प्याज का भोग नहीं लगाया जाता है।
लहसून और प्याज करता है सकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित
ऐसा कहा जाता है कि लहसून और प्याज खाने से सकारात्मक ऊर्जा (सकारात्मक ऊर्जा मंत्र) प्रभावित होता है। इसलिए इसे खाने से बचना चाहिए।