भद्रा काल में क्यों नहीं बांधते हैं राखी, जाने इसके पीछे का इतिहास
हर वर्ष सावन पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पावन त्योहार मनाया जाता है। बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए उनकी कलाई पर राखी या रक्षासूत्र बांधती हैं।
हर वर्ष सावन पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पावन त्योहार मनाया जाता है। बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए उनकी कलाई पर राखी या रक्षासूत्र बांधती हैं। बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा की वचन देते हैं। इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार 22 अगस्त दिन रविवार को है। रक्षाबंधन के दिन राखी बांधते समय भद्रा और राहुकाल का विशेष ध्यान रखा जाता है। इन दोनों ही समय में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है। इसके बारे में लंका के राजा रावण से जुड़ी एक घटना है, जिसका वर्णन पौराणिक कथा में मिलता है। आइए जानते हैं इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या है, राहुकाल और भद्रा कब है
रक्षाबंधन 2021: राखी बांधने का शुभ मुहूर्
इस वर्ष 22 अगस्त को सुबह 06:15 बजे से शाम को 05:31 बजे के बीच कभी भी राखी बांधी जा सकती है। शाम 5 बजे के बाद न बांधे तो ठीक है।
रक्षाबंधन 2021: शुभ योग
इस वर्ष रक्षाबंधन पर दो शुभ योग शोभन योग और धनिष्ठा नक्षत्र का योग बन रहा है। 22 अगस्त को सुबह 10:34 बजे तक शोभन योग है और धनिष्ठा नक्षत्र शाम 07:40 बजे तक है।
रक्षाबंधन 2021: भद्रा एवं राहुकाल
22 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन भद्रा नहीं है, हालांकि राहुकाल शाम को 05 बजकर 05 मिनट से शाम 06 बजकर 39 मिनट तक है। भद्रा के समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस अवधि में कोई कार्य करने से वह सफल नहीं होता है। भद्रा और राहुकाल दोनों को ही अशुभ समय माना जाता है।
भद्रा में क्यों नहीं बांधते हैं राखी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा अशुभ होती है। इसमें कार्य का शुभ फल प्राप्त नहीं होता हैं। ऐसी मान्यता है कि इस समय में भगवान शिव तांडव नृत्य करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, रावण ने भद्रा काल में ही अपनी बहन से राखी बंधवाई थी, जिसके कारण उसका सर्वनाश हो गया। इस वजह से कोई भी बहन अपने भाई को भद्रा में राखी नहीं बांधती है।