भगवान शिव के मंदिर में क्यों होते हैं पहले नंदी के दर्शन, नंदी को अपने समक्ष बैठने को वरदान दिया
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Lord Shiva And Nandi Relation: अक्सर मंदिरों में सभी ने देखा होगी कि शिव मंदिर में अंदर भोलेनाथ के दर्शन से पहले बाहर नंदी बैल की प्रतिमा लगी होती है. भक्त पहले उनके दर्शन करते हैं, फिर भोलेनाथ के दर्शन किए जाते हैं. नंदी को भगवान शिव का वाहन कहा गया है. शिव और नंदी का रिश्ता है, क्या ये आप जानते हैं ? जहां भगवान शिव वहीं नंदी. दरअसल, भगवान शिव का वाहन नंदी का मेहनत का प्रतीक है. इसके साथ ही, एक बात का ध्यान करने वाली है कि नंदी हमेशा भगवान शिव की तरफ मुंह करके ही बैठा होता है. आइए जानें इनका कारण.
भगवान शिव के मंदिर में क्यों होते हैं पहले नंदी के दर्शन
जब भी महादेव के मंदिर में जाते हैं, तो हमारी नजर शिवलिंग से पहले नंदी पर पड़ती है. यानी भोलेनाथ से पहले भक्त नंदी के दर्शन करते हैं. बैल के कानों में अपनी मन्नत बोलते हैं. इसके पीछ एक रोचक किस्सा है. आइए जानें
भगवान शिव की प्रिय कैसे बनी नंदी बैल
पौरणिक कथाओं के अनुसार देवताओं और असुरों के समुद्र मंथन के दौरान जो समुद्र से चीजें निकलीं उसे लेकर देवता और असुरों में लड़ाई होने लगी. ऐसे में शिव जी ने समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को पीकर संसार की रक्षा की थी. इस दौरान विष की कुछ बूंदे जमीन पर गिर गई थीं. इस बूंदों को नंदी ने अपनी जीभ से चाट लिया था. नंदी का ये प्रेम और लगाव देख शिव जी ने नंदी को सबसे बड़े भक्त की उपाधी दी. साथ ही ये भी कहा कि लोग शिव जी की पूजा के साथ उन्हें भी प्रणाम करेंगे.
नंदी को अपने समक्ष बैठने को वरदान दिया
इतना ही नहीं भगवान शिव ने नंदी को मंदिर में अपने समक्ष बैठने का भी वरदान दिया. साथ ही ये भी कहा कि जहां नंदी निवास करेंगे वहीं भगवान शिव निवास करेंगे. यही कारण है कि हर शिव मंदिर में नंदी की स्थापना की जाती है.