गणपति भगवान की क्यों हुए थी दो शादी, जानें इससे जुड़ी प्रचलित कथा
गणेश चतुर्थी का पर्व इस साल 31 अगस्त 2022 को मनाया जा रहा है। गणपति स्थापना का मुहूर्त सुबह 11 बजकर 05 से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक है। मान्यता है जो गणेशोत्सव में बप्पा की सच्चे मन से पूजा-आराधना करने से बुद्धि, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और बिगड़े हुए काम बन जाते हैं।
गणेश चतुर्थी का पर्व इस साल 31 अगस्त 2022 को मनाया जा रहा है। गणपति स्थापना का मुहूर्त सुबह 11 बजकर 05 से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक है। मान्यता है जो गणेशोत्सव में बप्पा की सच्चे मन से पूजा-आराधना करने से बुद्धि, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और बिगड़े हुए काम बन जाते हैं। भगवान गणेश का जन्म कैसे हुआ, वो बुद्धि देवता क्यों कहे जाते हैं, उन्हें मोदक क्यों पसंद है? इन सभी के साथ एक और कथा काफी काफी प्रचलित है वो ये कि गणपति भगवान के दो विवाह क्यों हुए थे? आज इसी के बारे में जानेंगे
क्यों हुए गणपति के दो विवाह ?
पौराणकि कथा के अनुसार एक बार गणेश जी को तपस्या में लीन देखकर तुलसी जी उन पर मोहित हो गईं. तुलसी जी ने गणपति के सामने शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन गणेश जी ने खुद को ब्रह्मचारी बताते हुए शादी करने से इनकार कर दिया. गणपति की बात सुनकर तुलसी जी क्रोधित हो गईं और उन्होंने गजानन को श्राप दे दिया कि तुम्हारे दो विवाह होंगे.
रिद्धि और सिद्धि से हुई थी गणेश जी की शादी- एक पौराणिक कथा के अनुसार, गणेश जी की बनावट के चलते कोई भी शादी करने को तैयार नहीं था। इससे उन्हें बेहद क्रोध आया और वो दूसरे देवताओं की शादी में खलल डालने लगे। इससे देवता परेशान होने लगे। फिर सभी देवगण ब्रह्माजी के पास पहुंचे और उनसे अपनी परेशानी कही। तब ब्रह्माजी ने अपनी दो मानस पुत्रियां रिद्धि और सिद्धि से कहा कि वो गणेश जी के पास जाएं। रिद्धि और सिद्धि ने ब्रह्माजी की बात मानकर गणेश जी के पास गईं और उन्हें शिक्षित करने लगीं।
जब-जब गणेश जी के पास किसी की शादी की खबर आती तब वो दोनों उनका ध्यान भटका देतीं। इस तरह सकुशल देवताओं के विवाह संपन्न होने लगे। लेकिन गणेश जी का क्रोध यह देख और बढ़ने लगा। फिर एक दिन गणेश जी के सामने ब्रह्मा जी ने रिद्धि-सिद्धि से विवाह का प्रस्ताव रखा। यह प्रस्ताव गणेश जी ने स्वीकार कर लिया और फिर भगवान गणेश के साथ रिद्धि और सिद्धि का विवाह संपन्न हुआ।