तुलसी चढ़ाने से भगवान गणेश क्यों हो जाते हैं नाराज, जानें इसकी वजह
बुधवार का दिन भगवान गणेश (Ganesha) को समर्पित होता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| बुधवार का दिन भगवान गणेश (Ganesha) को समर्पित होता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा सबसे प्रथम होती है. किसी भी शुभ कार्यों को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा होती है. भगवान गणेश अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है.
लेकिन क्या आप जानते हैं भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल करना वर्जित माना गया है. मान्यता है कि गणेश जी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल करने से भगवान नाराज हो जाते हैं.
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा धर्मात्मज की बेटी तुलसी (Tulsi) विवाह की इच्छा को लेकर तीर्थयात्रा पर निकली थी. तीर्थ यात्रा के दौरान तुलसी ने देखा कि गणेश जी गंगा किनार तपस्या कर रहे हैं. कथा के अनुसार भगवान गणेश तपस्या मे विलीन थे. उनके शरीर पर चंदन लगा हुआ था. गले में रत्नों की माला थी. कमर में रेशम का पीताम्बर लिपटा हुआ था. वो एक सिंहासन पर बैठकर तपस्या कर रहे थे. भगवान गणेश का सुंदर स्वरूप देखकर तुलसी मोहित हो गई. उनसे विवाह करने की इच्छा जताते हुए उनकी तपस्या भंग कर दी. भगवान गणेश इस बात से क्रोधित हो गए और तुलसी के इस काम को अशुभ बताया. उन्होंने तुलसी की मंशा जानकर कहा कि मैं ब्रह्माचारी हूं. उनके विवाह का प्रस्ताव ठुकरा दिया.
इस बात को सुनकर तुलसी क्रोधित हुई और उन्होंने भगवान गणेश को श्राप दिया कि तुम्हारी एक नहीं दो शादी होंगी. इस पर भगवान गणेश ने भी उन्हें श्राप दिया कि तुम्हारा विवाह एक राक्षस से होगा. इस बात को सुनकर तुलसी ने गणेश जी से क्षमा मांगी. इसके बाद गणेश जी ने कहा, भगवान विष्णु और कृष्ण की प्रिय होने के कारण कलयुग में तुम्हारी पूजा मोश्र देने वाली होगी. लेकिन मेरी पूजा में तुम्हें चढ़ाना अशुभ माना जाएगा. इसके बाद से भगवान गणेश की पूजी में तुलसी को चढ़ाना वर्जित माना गया है.