क्यों रखा जाता है ऋषि पंचमी का व्रत
: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी मनाई जाती है।
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी मनाई जाती है। पौराणिक परंपराओं के अनुसार, ऋषि पंचमी के दिन सप्तऋषियों की पूजा का विधान है। यह त्योहार हरतालिका तीज और गणेश चतुर्थी के बाद ही मनाया जाता है। इस दिन ऋषियों की विधिवत पूजा के साथ व्रत का संकल्प लिया जाता है और कथा सुनी जाती है। ऋषि पंचमी का त्योहार इस साल गुरुवार, 01 सितंबर को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं कि इस त्योहार का महत्व क्या है और इस दिन ऋषियों की उपासना कैसा की जाती है।
ऋषि पंचमी की तिथि
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि बुधवार, 31 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 22 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है और आज यानी गुरुवार, 01 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 49 मिनट पर इसका समापन होगा। उदिया तिथि के कारण ऋषि पंचमी 01 सितंबर को ही मनाई जाएगी।
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ऋषि पंचमी की पूजन विधि
ऋषि पंचमी का त्योहार सप्तऋषियों को समर्पित है। इन ऋषियों के नाम हैं- ऋषिमुनि वशिष्ठ, कश्यप, विश्वामित्र, अत्रि, जमदग्नि, गौतम और भारद्वाज। ऋषि पंचमी के दिन सुबह स्नादि करके साफ-सुथरे वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें। आप चाहें तो किसी पवित्र नदी के घाट पर जाकर आस्था की डुबकी ले सकते हैं। किसी पवित्र स्थान पर आटे या हल्दी से चौकोर मंडल बनाएं और उस पर सप्तऋषियों को स्थापित करें। उन्हें फल, फूल और मिठाई अर्पित करें और उनसे मंगलमयी जीवन की कामना करें। ऐसा कहते हैं कि इस दिन सप्तऋषियों की उपासना करने से पापों का नाश होता है
न्यूज़ क्रेडिट : खुलासा इन