गणेश जी की सवारी क्यों है चूहा...आइए जानते हैं इसके पीछे का इतिहास

बुधवार को पूरे विधि विधान के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है.

Update: 2021-04-28 02:20 GMT

बुधवार (Wednesday) को पूरे विधि विधान के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भगवान गणेश भक्तों पर प्रसन्न होकर उनके दुखों को हरते हैं और सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जानी जरूरी है. भगवान गणेश सभी लोगों के दुखों को हरते हैं. कहा जाता है कि प्रथम पूजनीय गणेश जी का श्रद्धा भाव से पूजन करने से घर में सुख समृद्धि तो आती है और घर धन धान्य से पूर्ण हो जाता है. उनके बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं होती है. कहा जाता है कि भगवान गणेश का आशीर्वाद अत्यंत लाभदायक होता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतने बड़े भगवान गणेश जी की सवारी एक चूहा ही क्यों है? आइए आपको बताते हैं इसके पीछे की कहानी.

एक प्रचलित कथा के अनुसार अर्धिदेविये और अर्धिराक्षसिये प्रवृत्ति वाला नर था क्रौंच. एक बार भगवान इन्द्र ने अपनी सभा में सभी मुनियों को बुलाया. इस सभा में क्रौंच को भी आमंत्रित किया गया. यहां गलती से क्रौंच का पैर एक मुनि के पैरों पर पड़ गया. इस बात से क्रोधित होकर उस मुनि ने क्रौंच को चूहा बनने का श्राप दिया. क्रौंच ने मुनि से क्षमा मांगी पर वो अपना श्राप वापिस नहीं ले पाए. लेकिन उन्होंने एक वरदान दिया कि आने वाले समय में वह भगवान शिव के पुत्र श्री गणेश जी की सवारी बनेंगे. क्रौंच कोई छोटा मोटा चूहा नहीं एक विशाल चूहा था जो मिनटों में पहाड़ों को कुतर डालता था. इसका आतंक इतना था कि वन में रहने वाले ऋषि-मुनियों को भी बहुत परेशान किया करता था
इसी तरह उसने ऋषि पराशर की कुटिया भी तहस-नहस कर डाली थी. महर्षि पराशर भगवान श्री गणेश जी का ध्यान कर रहे थे. कुटिया के बाहर मौजूद सभी ऋषियों ने उसे भगाने बहुत प्रयास किया लेकिन सफल न हो पाए. इस समस्या के समाधान के लिए वह भगवान शिव के पास गए और उन्हें सब कुछ बताया. गणेश जी ने चूहे को पकड़ने के लिए एक फंदा फेंका. इस फंदे ने चूहे का पाताल लोक तक पीछा किया और पकड़ लिया और गणेश जी के सामने ले आया. गणेश जी ने बड़ी तबाही की वजह जाननी चाही लेकिन गुस्से भरे उस चूहे ने कोई जवाब न दिया. इसलिए गणेश जी ने आगे चूहे से बोला कि अब तुम मेरे आश्रय में हो इसलिए जो चाहो वो मांग लो लेकिन महर्षि पराशर को परेशान न करो.
स पर घमंडी चूहे ने कहा मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए. हां, अगर आप चाहें तो मुझसे कुछ मांग सकते हैं. इस घमंड को देखकर गणेश जी ने चूहे से कहा कि वो उसकी सवारी करना चाहते हैं. चूहे ने उनकी बात मानी और सवारी बनने को तैयार हो गया लेकिन जैसे ही गणेश जी उस चूहे के ऊपर बैठे वो उनके भारी भरकम वजन से दबने लगा. चूहे ने बहुत कोशिश की लेकिन गणेशजी को लेकर एक कदम भी आगे न बढ़ सका. चूहे का घमंड चूर-चूर हो गया और उसने गणेशजी से बोला गणपति बाप्पा मुझे क्षमा कर दें. आपके वजन से मैं दबा जा रहा हूं. इस क्षमा याचना को स्वीकार कर गणेश जी ने अपना भार काम किया और इस तरह ये मूषक गणेश जी की सवारी बना
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