लोहड़ी पर क्यों जलाते हैं आग?

लोहड़ी का त्योहार पूरे देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हर साल की तरह इस साल भी लोहड़ी का त्योहार 13 जनवरी को मनाया जाएगा।

Update: 2022-01-12 16:26 GMT

लोहड़ी का त्योहार पूरे देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हर साल की तरह इस साल भी लोहड़ी का त्योहार 13 जनवरी को मनाया जाएगा। इस त्योहार की खासियत है कि इसमें किसी प्रकार का पूजन या कोई व्रत जैसा कोई नियम नहीं होता बल्कि लोहड़ी के दिन लोग तरह-तरह के पकवान बनाते हैं और लोक-गीत गाकर जश्न मनाते हैं। क्या आप जानते हैं कि आखिर लोहड़ी के दिन क्यों जलाई जाती है आग और दुल्ला भट्टी की कहानी क्यों सुनी जाती है। पढ़िए यहां-

लोहड़ी पर क्यों जलाते हैं आग?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, लोहड़ी के दिन आग जलाने को लेकर माना जाता है कि यह आग्नि राजा दक्ष की पुत्री सती की याद में जलाई जाती है। एक बार राजा दक्ष ने यज्ञ करवाया और इसमें अपने दामाद शिव और पुत्री सती को आमंत्रित नहीं किया। इस बात से निराश होकर सती अपने पिता के पास और पूछा कि उन्हें और उनके पति को इस यज्ञ में निमंत्रण क्यों नहीं दिया गया। इस बात पर अहंकारी राजा दक्ष ने सती और भगवान शिव की बहुत निंदा की। इससे सती बहुत आहत हुईं और क्रोधित होकर खूब रोईं। उनसे अपने पति का अपमान नहीं देखा गया और उन्होंने उसी यज्ञ में खुद को भस्म कर लिया। सती के मृत्यु का समाचार सुन खुद भगवान शिव ने वीरभद्र को उत्पन्न कर उसके द्वारा यज्ञ का विध्वंस करा दिया। तब से माता सती की याद लोहड़ी को आग जलाने की परंपरा है।
लोहड़ी से ऐसे जुड़ी दुल्ला भट्टी की कहानी-
लोहड़ी के त्यौहार को लेकर एक लोककथा भी है जो कि पंजाब से जुड़ी हुई है। हालांकि कुछ लोग इसे इतिहास बताते हैं। कहा जाता है कि मुगल काल में बादशाह अकबर के समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक युवक पंजाब में रहता था। कहा जाता है कि एक बार कुछ अमीर व्यापारी कुछ समान के बदले इलाके की लड़कियों का सौदा कर रहे थे। तभी दुल्ला भट्टी ने वहां पहुंचकर लड़कियों को व्यापारियों के चंगुल से मुक्त कराया। और फिर इन लड़कियों की शादी हिन्दू लड़कों से करवाई। इस घटना के बाद से दुल्हा को भट्टी को नायक की उपाधि दी गई और हर बार लोहड़ी को उसी की याद में कहानी सुनाई जाती है


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