दो दिन क्यों मनाते हैं ये सावित्री व्रत? जानें शुभ मुहूर्त और महत्त्व
वट सावित्री व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है. दांपत्य जीवन में खुशहाली और पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाएं इस दिन श्रद्धा भाव से व्रत रखती हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | वट सावित्री व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है. दांपत्य जीवन में खुशहाली और पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाएं इस दिन श्रद्धा भाव से व्रत रखती हैं. इस दिन बरगद के पेड़ यानी वट की पूजा की जाती है. बता दें कि यह व्रत दो तिथियों को मनाया जाता है. पहली अमावस्या तिथि और दूसरी पूर्णिमा तिथि. आखिर ऐसा क्यों है. इसके पीछे क्या वजह है. इसके बारे में बताओ ना जरूरी है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि वट सावित्री व्रत और वट पूर्णिमा व्रत अलग-अलग क्यों मनाते हैं. पढ़ते हैं
वट सावित्री व्रत मुहूर्त
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि प्रारंभ – 29 मई, दोपहर 02:54 मिनट से
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि समापन – 30 मई, शाम 04:59 मिनट तक
वट सावित्री व्रत पूजा मुहूर्त – सुबह 07:12 बजे से न
वट पूर्णिमा व्रत मुर्हत
ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत – 13 जून, सोमवार, रात 09:02 मिनट से
ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि का समापन – 14 जून, मंगलवार, शाम 05:21 मिनट पर
वट पूर्णिमा व्रत 2022: 14 जून, 2022 दिन मंगलवार