क्यों मनाते हैं बैसाखी पर्व? जानें महत्व, कारण और मनाने का तरीका

देशभर में बैसाखी का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

Update: 2022-04-13 08:12 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देशभर में बैसाखी का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन को सिख समुदाय के लोग नए साल के रूप में मनाते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग नामों से जानते हैं। असम में इसे बिहू, केरल में पूरम विशु, बंगाल में नबा वर्ष जैसे नामों से जाना जाता है। सिख समुदाय के लोगों के लिए यह पर्व काफी महत्वपूर्ण होता है। इस दिन वह अपने करीबियों, रिश्तेदारों के संग मिलकर खुशियां मनाते हैं। इस दिन विधिवत तरीके से अनाज की पूजा करने के साथ अच्छी फसल के लिए भगवान को शुक्रिया कहते हैं। इस साल ये त्योहार 14 अप्रैल को मनाया जाएगा। जानिए बैसाखी का महत्व, कारण और मनाने का तरीका।

क्यों मनाते हैं बैसाखी पर्व?
इस पर्व की शुरुआत सिख पंथ के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह ने 13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसके साथ ही इस दिन से बैसाखी पर्व की शुरुआत भी हुई थी। सिख धर्म की स्थापना के साथ-साथ फसल पकने के रूप में ये पर्व मनाते हैं। दरअसल, इस माह रबी फसल पक कर तैयार हो जाती है और काटना शुरू कर देते हैं। इसी कारण किसान लोग अपनी खुशी त्योहार के रूप में मनाते हैं।
बैसाखी पर्व का महत्व
सिख धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म में भी बैसाखी पर्व का अधिक महत्व है। इस दिन स्नान-दान और पूजा पाठ करने का विधान है। मान्यताओं के अनुसार, मुनि भागीरथ ने देवी गंगा को धरती में उतारने के लिए कठोर तपस्या की थी और आज के दिन ही उनकी तपस्या पूर्ण हुई थी। इसलिए आज के दिन गंगा स्नान के साथ गंगा जी की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा आज के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश कर रहे हैं जिसके कारण इसे मेष संक्रांति कहा जाता है। इसका असर हर राशि के जातकों पर पड़ेगा।
इस तरह मनाते हैं बैसाखी
इस दिन सिख समुदाय के लोग सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करते हैं और गुरुद्वारे में जाकर माथा टेकते हैं। इस दिन गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ होने के साथ कीर्तन आदि होते हैं। पंजाबी लोग इस दिन मिलजुल कर भांगड़ा करते हैं।


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