मातृ नवमी के दिन किनका होता है श्राद्ध, जाने श्राद्ध की विधि
आवश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मातृ श्राद्ध किया जाता है. इस दिन माता पक्ष के पितरों का श्राद्ध करने से पुण्य मिलता है. आइए जानते हैं श्राद्ध की सही विधि के बारे में.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस समय श्राद्ध पक्ष चल रहा है. हिंदू धर्म में आश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितरों को समर्पित होता है. इस समय में लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण करते हैं. इसे पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के नाम से भी जाना जाता है. आश्विन मास का खास का खास महत्व होता है. पितृ पक्ष की तिथि के आधार पर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को माताओं, सुहागिन महिलाएं और अज्ञात महिलाओं के श्राद्ध करने का विधान होता है. इस दिन को तिथि के आधार पर मातृ नवमी (Matri Navami) कहा जाता है.
दरअसल पितृ पक्ष के प्रत्येक दिन पर विशेष तिथि के अनुसार श्राद्ध और तर्पण किया जाता है. आज यानी 30 सितंबर 2021 को मातृ नवमी है. आइए जानते हैं मातृ नवमी के दिन किन लोगों का श्राद्ध करना चाहिए और इसका सही तरीक क्या है.
मातृ नवमी तिथि का विधि
मातृ नवमी के दिन सुबह- सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. इसके बाद एक सफेद चौकी पर मृत परिजन की तस्वीर रखें. इस तस्वीर पर फूल, तुलसी और गंगजल चढ़ाएं और तस्वीर के सामने तिल का दीपक जलाएं और धूप बाती करें.
इसके बाद फोटो के सामने गरुड़ पुराण, गजेन्द्र मोश्र या भगवत गीता के नवे अध्याय का पाठ करें. इसके बाद श्राद्ध के भोजन को दक्षिण दिशा में रखें. इसके अलावा ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपने सामर्थ्य के अनुसार दान दें.
कब करें मातृ नवमी श्राद्ध
आज के दिन सुबह 11 बजे से दोपहर 02 बजकर 30 मिनट के बीच का समय सबसे उत्तम है. इस दिन मातृ पक्ष का श्राद्ध करने से पुण्य मिलता है. मातृ नवमी के दिन ब्राह्माणों के अलावा कुत्ता, चिड़िया, कौआ आदि को भोजन कराना चाहिए. माना जाता है कि आज के दिन पितृ पृथ्वी लोक पर इन्ही जीवों के माध्यम से ही पितृ श्राद्ध का भोजन ग्रहण करते हैं. इसलिए इस दिन सभी जीवों को खाना देना चाहिए.
मातृ नवमी के दिन विधि- विधान से श्राद्ध कर्म करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. ऐसा करने पितृ वंश वृद्धि, धन और मनोकामनाएं पूर्ण करने का आशीर्वाद देते हैं.