देवी-देवता को कौन सा फूल होता है बेहद प्रिय, जाने

हिंदू धर्म में भगवान की पूजा-पाठ और उपासना करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि पूजा-पाठ, जाप और पूजा सामग्री अर्पित करने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं।

Update: 2022-01-25 01:54 GMT

हिंदू धर्म में भगवान की पूजा-पाठ और उपासना करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि पूजा-पाठ, जाप और पूजा सामग्री अर्पित करने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं। हिंदू धर्म में कोई भी पूजा या धार्मिक अनुष्ठानों फूलों को अर्पित किए बिना पूरा नहीं माना जाता है। देवी-देवताओं की आराधना में शामिल सभी सामग्रियों में सबसे पहले और खास चीज पुष्प ही होते हैं। हिंदू धर्म में कई देवी-देवताओं की अलग-अलग समय पर पूजा करने का विधान होता है और हर एक देवी-देवता की उपासना करने की विधि भी अलग-अलग होती है। शास्त्रों में बताया है कि कौन से फूल किस देवी-देवता को विशेष रूप से प्रिय होते हैं और कौन से फूल अर्पित करना वर्जित होता है। भगवान को उनके प्रिय फूल अर्पित करने पर वे जल्दी प्रसन्न होकर भक्तों की हर मनोकामनाएं जल्दी पूरा करते हैं।

श्रीगणेशजी - सभी देवी-देवताओं में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है। शास्त्रों का मानना है कि गणेशजी को तुलसीदल को छोड़कर सभी प्रकार के फूल चढाएं जा सकते हैं। गणेश जी को दूर्वा अत्यंत प्रिय है।

भगवान शंकर- भगवान शिव ऐसे देवता हैं जो सिर्फ एक लोटे जल से प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव को धतूरे के फूल, हरसिंगार, नागकेसर के सफेद पुष्प, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के फूल चढ़ाने का विधान है। भगवान शिव को केवड़े का फूल चढ़ाना वर्जित माना गया है।

भगवान विष्णु- विष्णु भगवान तुलसी दल चढ़ाने से अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। तुलसी के पत्ते के अलावा भगवान विष्णु को कमल, मौलसिरी, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, चंपा, वैजयंती के फूल अति प्रिय हैं। कार्तिक मास में भगवान नारायण की केतकी के फूलों से पूजा करने का बहुत महत्व है। लेकिन विष्णुजी को आक और धतूरा नहीं चढ़ाना चाहिए।



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